महाशिवरात्रि पर इस पूजा से मिलेगा भगवान शिव का आशीर्वाद, जानें क्या है विधान

Mahashivratri 2024: सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का खास महत्व है। ये त्योहार हिंदुओं का सबसे पवित्र त्योहार माना जाता है। इस दौरान लोग भगवान शिव की अराधना करते हैं। कहा जाता है कि इस दौरान जो कोई भी भगवान भोलेनाथ की पूरी विधि-विधान से पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक करना भी शुभ माना जाता है।
मिलता है पूरे साल के पूजा का फल
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सभी शिवभक्त शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। ऐसे कहते हैं कि भोलेनाथ की पूरे साल की पूजा का फल केवल महाशिवरात्रि के दिन पूजन करने से मिल जाता है। महाशिवरात्रि के दिन सभी शिवभक्त को शिवलिंग पर सुबह जल्दी स्नान करके जल और बेल पत्र अवश्य चढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही भगवान शिव को दूध भी अर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही शिव मंत्र का भी जाप करना चाहिए। इस दिन के व्रत में लोगों को फलाहार ही करना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं तो महाशिवरात्रि का दिन सबसे बेहतर माना जाता है।
पंचामृत से शिवलिंग का करना चाहिए स्नान
महाशिवरात्रि का व्रत रखने वालों को दिनभर शिव मंत्र ऊं नम: शिवाय का जाप करना चाहिए और रोगी, अशक्त और वृद्ध दिन में फलाहार करके रात में पूजा कर सकते हैं। महाशिवरात्रि का व्रत रखने वाले को फल, फूल, चंदन, बिल्व पत्र, धतूरा, धूप व दीप से रात के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही महाशिवरात्रि के दिन दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग और सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराकर जल से अभिषेक करना चाहिए।
चारों प्रहर में शिव पूजा का है विधान
इस दिन चारों प्रहर की पूजा के दौरान शिवपंचाक्षर मंत्र यानी ऊं नम: शिवाय का जाप करना चाहिए। भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान, इन आठ नामों से फूल अर्पित कर भगवान शिव की आरती और परिक्रमा करनी चाहिए। शिव पुराण में रात के चारों प्रहर में शिव पूजा का विधान है। इस दिन शाम को स्नान करके किसी शिव मंदिर में जाकर अथवा घर पर ही पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके त्रिपुंड एवं रुद्राक्ष धारण करके पूजा का संकल्प लेना चाहिए और इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
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