Nag Panchami 2023: आज के दिन की जाती है इन पांच नागों की पूजा, जानें क्यों मनाते हैं नाग पंचमी

Nag Panchami 2023 Special: हिंदू धर्म में नाग को भगवान मानते हैं। इनकी पूजा की जाती है। और इन्हीं को समर्पित होता है नाग पंचमी का त्योहार । आज पूरे देश में नाग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है।
क्यों मनातें हैं नाग पंचमी
पौराणिक कथा के अनुसार जनमेजय अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र थे। जब जनमेजय ने पिता की मौत का कारण सर्पदंश जाना तो उसने बदला लेने के लिए सर्पसत्र नाम के यज्ञ का आयोजन किया। नागों की रक्षा के लिए यज्ञ को ऋषि आस्तिक मुनि ने श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन रोक दिया और नागों की रक्षा की । इस वजह से तक्षक नाग के बचने से नागों का वंश बच गया। आग के ताप से नाग को बचाने के लिए ऋषि ने उनपर कच्चा दूध डाल दिया था। उसी समय से नागपंचमी मनाई जाने लगी। इसके साथ ही नाग देवता को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। इस दिन नागों को अभिषेक कराने और उन्हें दूध चढ़ाने से पुण्य की प्राप्ति होती है । शास्त्रों के अनुसार, नाग पंचमी पर अगर घर के बाहर सांप का चित्र बनाया जाता है तो इससे नाग देवता की कृपा परिवार पर बनी रहती है।
इन पांच नाग की खास तरीके से करते हैं पूजा
इस दिन शेषनाग, वासुकी नाग, तक्षक नाग, कर्कोटक नाग और पिंगला नाग की खास तरीके से पूजा की जाती है। शेषनाग-हमारे शास्त्रों में शेषनाग को ब्रह्मांड का पहला नाग माना गया है। कहा जाता है पृथ्वी शेषनाग के सिर पर ही टिकी हुई है। महाभारत ग्रंथ के अनुसार शेषनाग त्रेतायुग में लक्ष्मण और फिर द्वापर में बलरामजी के रूप में जन्म लिए थे। इन्हें भगवान विष्णु का परम सेवक माना जाता है।
वासुकी नाग- ये नाग भगवान शिव के गले में विराजमान है। वासुकी शेषनाग के भाई कहे जाते हैं। नागलोक में शेषनाग के बाद वासुकी नाग का ही स्थान आता है। वासुकी नाग भगवान शिव के परम सेवक हैं।
तक्षक नाग-तक्षक को नागवंश में सबसे खतरनाक सांप माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि तक्षक नाग ने ही तक्षकशिला की स्थापना की थी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, तक्षक नाग के डंसने पर राजा परीक्षित की मृत्यु हुई थी, जिसका बदला लेने के लिए उनके पुत्र जनमेजय ने नाग जाति का नाश करने के लिए नाग यज्ञ करवाया था।
कर्कोटक नाग- मान्यता के अनुसार, जब नाग जाति का नाश करने के लिए जो यज्ञ किया था उसमें कर्कोटक शिव जी के वरदान से बच निकले थे। यज्ञ के दौरान कर्कोटक ने शिव जी की स्तुति की थी। वहां निकलने के बाद कर्कोटक नाग उज्जैन आ गए थे और उन्होंने शिव की घोर तपस्या की थी।
पिंगला नाग- हिंदू व बौद्ध साहित्य में पिंगल नाग को कलिंग में छिपे खजाने का संरक्षक माना गया है।
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