हाईवे हादसों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख, टोल वसूली पर उठाए सवाल; कहा - खराब सड़कें...
Supreme Court On Highway Accidents:सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राष्ट्रीय राजमार्गों पर हो रहे हादसों पर गंभीर चिंता जताई है, जहां खराब सड़कें और अनियमित सुविधाएं दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण बन रही हैं। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जब सड़कों की हालत ठीक नहीं है, तब टोल वसूलना गलत है, क्योंकि इससे यात्रियों की सुरक्षा खतरे में पड़ती है। दरअसल, नवंबर में राजस्थान और तेलंगाना में हुए दो बड़े हादसों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। यह कदम देशभर में सड़क सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में अहम है।
क्या है पूरा मामला?
बता दें, राजस्थान के फलोदी के पास भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बने राजमार्ग पर हाल ही में एक बड़ा हादसा हुआ, जिसमें कई लोगों की जान गई। इसी तरह, तेलंगाना-बीजापुर हाईवे पर भी एक दुर्घटना में करीब 40 लोगों की मौत हो गई। जांच में पता चला कि इन हादसों के पीछे प्रमुख कारण सड़कों की खराब हालत, जैसे गड्ढे और असमान सतह हैं। जिस वजह से अनधिकृत ढाबों का सड़क के करीब होना एक बड़ी समस्या है, जहां ट्रक अचानक रुकते हैं और तेज रफ्तार वाहनों से टकराव होता है। वहीं, एक रिपोर्ट की मानें तो इन राजमार्गों पर टोल वसूला जा रहा है, जबकि रखरखाव के मानक पूरे नहीं हो रहे।
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने इन रिपोर्ट्स के आधार पर 07 नवंबर को स्वत: संज्ञान लिया और मामले को 'इन रे: फलोदी एक्सीडेंट' नाम दिया। इससे पहले, अगस्त 2025 में केरल के एडापल्ली-मन्नुथी हाईवे (एनएच-544) पर भी इसी तरह की समस्या सामने आई थी। यहां 65 किमी की दूरी तय करने में 12 घंटे लग रहे थे, वजह थी खराब सड़कें और ट्रैफिक जाम। सुप्रीम कोर्ट ने NHAI की अपील खारिज करते हुए केरल हाईकोर्ट के टोल निलंबन के आदेश को सही ठहराया और कहा कि यात्रियों से 150 रुपये वसूलने का कोई औचित्य नहीं जब यात्रा असुरक्षित और असुविधाजनक है। कोर्ट ने NHAI को फटकार लगाई कि खराब रखरखाव से हादसे बढ़ते हैं, और इसे 'ईश्वर की इच्छा' बताना गलत है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
जस्टिस जे.के. महेश्वरी और विजय बिश्नोई की बेंच ने राजस्थान और तेलंगाना मामलों में दो हफ्तों के अंदर रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने राजस्थान और तेलंगाना सरकारों, एनएचएआई और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय से हादसा स्थलों का विस्तृत सर्वे करने को कहा है। इसके साथ ही, अनधिकृत ढाबों की संख्या, सड़क सतह की स्थिति और निजी ठेकेदारों द्वारा रखरखाव मानकों का पालन पर विवरण भी मांगा है।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि सड़क किनारे अनियमित प्रतिष्ठानों और खराब इंफ्रास्ट्रक्चर से सार्वजनिक सुरक्षा खतरे में है। इससे पहले, अक्टूबर 2025 में कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को छह महीने में पैदल यात्रियों और गैर-मोटराइज्ड वाहनों के लिए सड़क सुरक्षा नियम बनाने के निर्देश दिए थे। इनमें फुटपाथों का ऑडिट, हेलमेट नियमों का सख्ती से पालन और गलत लेन ड्राइविंग पर रोक शामिल है।
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