Lord Vishnu: भगवान विष्णु के नाम के नाम के आगे ही क्यों लगाते हैं ‘श्री’, शास्त्रों में है वर्णन
Lord Vishnu: हिंदू धर्म में हफ्ते का हर एक दिन किसी न किसी देवता को समर्पित होता है। ऐसे ही गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। कहते हैं गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करने से भक्तों को सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है। भगवान विष्णु को जगत का पालनहार कहा जाता है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि केवल भगवान विष्णु और उनके अवतारों के नाम के आगे ही श्री क्यों लगाया जाता है जैसे श्रीहरि, श्री राम, श्री कृष्ण बाकि देवताओं के नाम के आगे श्री क्यों नहीं लगाया जाता है
शास्त्रों में कहा गया है ‘हरि हरति पापानि’ यानी भगवान हरि भक्तों के जीवन के सभी पाप हर लेते हैं। जब कभी भी अच्छाई पर बुराई हावी हो जाती है तब भगवान विष्णु धर्म की रक्षा के लिए धरती पर अवतार लेते हैं। भगवान विष्णु के नाम के आगे 'श्री' लगाने का वर्णन शास्त्रों में किया गया है। श्रीहरि के आगे लगने वाले 'श्री' का मतलब 'माता लक्ष्मी' से है। मां लक्ष्मी के कई नाम हैं और कई नामों में एक नाम श्री भी है। क्योंकि माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं यही वजह है कि हम श्री कहकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को एक साथ एक रूप में सम्मान देते हैं।
भगवान कृष्ण और भगवान राम के आगे श्री का प्रयोग क्यों किया जाता है
दरअसल, धार्मिक ग्रंथों में भगवान राम और कृष्ण को विष्णु जी का ही अवतार बताया गया है। तो वहीं वेद पुराणों के अनुसार श्री राम की पत्नी माता सीता और श्री कृष्ण की पत्नी माता रुक्मिणी को भी लक्ष्मी जी का ही अवतार माना जाता है। यही वजह है कि उन्हें एक साथ करते हुए 'श्री राम' और 'श्री कृष्ण' पुकारते हैं।
गुरुवार के दिन ही क्यों भगवान विष्णु की पूजा की जाती है
पौराणिक कथाओं के अनुसार, पक्षियों में सबसे विशाल पक्षी गरुड़ भगवान विष्णु का वाहन कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि गरुड़ ने भगवान विष्णु को कठिन तपस्या से कर के प्रसन्न किया था। गरुड़ की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने गरुड़ को अपने वाहन के रूप में स्वीकार कर लिया था। शास्त्रों के अनुसार, गुरु का मतलब होता है भारी। वहीं, गरुड़ भी पक्षियों में सभी में भारी होता है। गरुड़ की सफल तपस्या के वजह से ही गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित हो गया। वहीं, दूसरी ओर कुछ विद्वानों का ये भी कहना है कि गुरु बृहस्पति भगवान विष्णु का ही स्वरूप होने के वजह से गुरुवार के दिन श्री हरि की पूजा की जाती है।
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