MP Election: आखिर कौन सी बाजीगरी से ‘मामा’ फिर बन गए CM! शुरुआती रुझानों में BJP 77 की बढ़त
MPElection: आखिरकार सब का इंतजार खत्म हुआ और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना का दिन आ गया है, जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर चल रही है। एमपी विधानसभा सीटों की 230 सीटों के लिए प्रचार में दोनों पार्टियों ने अपने स्टार प्रचारकों का इस्तेमाल किया, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी जैसे वरिष्ठ नेता शामिल थे। वहीं इस समय शुरुआती रुझानों में BJP 77 की बढ़त है। BJP इस वक्त 152 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वहीं इस वक्त कांग्रेस 75 सीट के रेस में बनी हुई है।
आपको बता दें कि,मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान आम जनता के बीच 'मामा' के नाम से लोकप्रिय हैं। लाड़ली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह योजना ने मामा को रातों-रात प्रदेशवासियों के दिल में बसा दिया। हालांकि, जब यह जादू कम होने लगा तो उन्होंने इस साल फिर से 'लाडली ब्राह्मण योजना' आजमाई। इसी दांव के आधार पर वे जीत का दावा कर रहे हैं। सवाल ये है कि 2018 के चुनाव में बीजेपी हार गई, लेकिन ऐसी कौन सी 'बाजीगरी' हुई कि 15 महीने बाद फिर से शिवराज सिंह चौहान राज्य के CMबन गए।
2018 में बीजेपी के सत्ता गंवाने और कमल नाथ के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार के शपथ लेने के बाद शिवराज सिंह चौहान सत्ता से हट गए। लेकिन 15 महीने में ऐसा क्या हुआ कि CMशिवराज सिंह चौहान एक बार फिर मध्य प्रदेश के CMबन गए। इसके पीछे कई उतार-चढ़ाव थे। जानिए ये कौन सा 'सियासी ड्रामा' था।
कमलनाथ ने निर्दलियों को लुभाया, BSP और SP से समर्थन मिला और CMबने
दरअसल, कमलनाथ की पार्टी ने सरकार बना ली। क्योंकि कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं, जबकि बीजेपी 109 सीटें ही जीत सकी थी। अब यहीं से शुरू हुआ ड्रामा। कमलनाथ ने निर्दलीयों को हराया। तब 2 बीएसपी, 1 एसपी और 4 निर्दलीय विधायकों को मिलाकर कांग्रेस सरकार बनी थी। बीजेपी हाथ मलती रह गई। लेकिन 'ये सियासी ड्रामा' अभी खत्म नहीं हुआ था।
कमलनाथ के CMबनते ही नाराज हो गए सिंधिया!
15 महीने तक कमलनाथ 'वल्लभ भवन' में बैठकर सरकार चला रहे थे। उन्हें नहीं पता था कि अंदर ही अंदर एक बड़ा गुट कांग्रेस से अलग होने की कोशिश कर रहा है। जी हां, कांग्रेस सरकार बनने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के CMपद की शपथ लेने की काफी चर्चा थी, लेकिन हुआ इसके उलट। कांग्रेस आलाकमान ने कमलनाथ को तरजीह दी और सिंधिया की जगह कमलनाथ CMबने। यहीं से सिंधिया का कांग्रेस से मोहभंग हो गया। जो उनके एक्सप्रेशंस में भी नजर आ रहा था।
23 मार्च 2020 को शिवराज ने दोबारा CMपद की शपथ ली
अब कहानी का नया विकास शुरू हुआ। 15 महीने बाद 10 मार्च 2020 को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह से मुलाकात की और 21 मार्च को अपने 22 विधायक समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए। ये बड़ा 'खेल' देशभर की राजनीति में जबरदस्त चर्चा का विषय बन गया। इसके बाद 23 मार्च को 'मामा' शिवराज ने CMपद की शपथ ली और 15 महीने विपक्ष में बिताने के बाद 'मामा' शिवराज एक बार फिर प्रदेश के CMबन गए। इस तरह मध्य प्रदेश में 'सियासी नाटक' का अंत हो गया।
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