Chandrayaan-3 पर ISRO चीफ का खुलासा, भारत की टेक्नोलॉजी की जानकारी चाहता था अमेरिका

ISRO: भारत के चंद्रयान-3 का जलवा दुनिया भर में चर्चा का विषय रहा। भारत की इस सफलता ने दुनिया की आंखे खोल दी थी। हर किसी ने भारत की तारीफ की थी। लेकिन अब अमेरिका ने भारत की टेक्नोलॉजी शेयर करने की खबर सामने आई है। इसकी जानकारी खुद इसरो के वैज्ञानिक ने दी है। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि जब चंद्रयान-3 मिशन के लिए स्पेसक्राफ्ट डिवलप किया जा रहा था, तब अमेरिका के एक्सपर्ट्स ने सुझाव दिया था कि इस टेक्नोलॉजी के बारे में भारत को अमेरिका के साथ जानकारी शेयर करनी चाहिए।
भारत की टेक्नोलॉजी पर अमेरिका की नजर
दरअसल चंद्रयान-1 और 2 के बाद भारत के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 की उड़ान भरी थी। हालांकि वैज्ञानिक की इस मेहनत ने रंग लाया और वह लैंडिंग करने में कामयाब रहा। इतना ही नहीं लैंड के बाद विक्रम लैंडर ने अच्छे से चांद की कई जानकारी वैज्ञानिकों को फोटो के जरिए भेजी। हालांकि 15 दिनों के लिए विक्रम को सुला दिय़ा गया था क्योंकि उस समय चांद पर अंधेरा होने जा रहा था। इस पर इतने दिनों के बाद इसरो के चीफ ने बताया कि अमेरिका भारत की टेक्नोलॉजी की जानकारी जानना चाहते थे।
लॉन्च से पहले चंद्रयान-3 की जानकारी मांग रहे था अमेरिका
एस सोमनाथ ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 92वीं जयंती पर छात्रों को संबोधित किया जहां उन्होंने कहा कि समय अब बदल चुका है। भारत सबसे बेहतर रॉकेट और दूसरे उपकरण बनाने में सक्षम है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पेस फील्ड को निजी प्लेयर्स (निजी बिजनेस) के लिए खोल दिया है। उन्होंने आगे कहा कि हमारा देश बहुत शक्तिशाली है। हमारे ज्ञान और बुद्धिमत्ता का स्तर दुनिया में सर्वश्रेष्ठ स्तर का है। ISRO प्रमुख ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन के लिए जब हमने अंतरिक्ष यान को डिजाइन और विकसित किया, तो हमने NASA-JPL की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया।
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