Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति पर क्यों खाई जाती है खिचड़ी, जानें क्या है इसका महत्व

Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति का त्योहार पूरे देश में मनाया है। ये त्योहार अलग अलग राज्यों में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। नए साल की शुरुआत के बाद ये त्योहार हिंदूओं का पहला पर्व होता है। ये त्योहार हिंदूओं के लिए इसलिए भी खास होता है कि क्योंकि मकर संक्रांति के साथ खरमास खत्म हो जाता है और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है।
इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जा रहा है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, दान-पुण्य करते हैं, पूजा-पाठ करते हैं। इसके साथ ही इस पर्व में खिचड़ी पकाने, खाने और दान करना भी अनिवार्य माना जाता है।
ग्रहों से है संबंध
मकर संक्रांति के पर्व पर तिल, गुड़, रेवड़ी आदि की तरह ही खिचड़ी का भी काफी खास महत्व रखता है। इसलिए इसे खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल खिचड़ी का संबंध ग्रहों से होता है। ऐसा मानते हैं कि दाल, चावल, घी, हल्दी, मसाले और हरी सब्जियों से मिश्रण से बनने वाले खिचड़ी का संबंध नवग्रहों से है। यही वजह है कि खिचड़ी के सेवन से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
सूर्य देव और शनि महाराज की बरसती है कृपा
खिचड़ी के चावल का संबंध चंद्रमा से होता है, नमक का शुक्र से, हल्दी का गुरु से, हरी सब्जियों का बुध से और खिचड़ी के ताप का संबंध मंगल ग्रह से होता है। मकर संकांति पर बनने वाली खिचड़ी में काली ऊड़द की दाल और तिल का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके दान और सेवन से सूर्य देव और शनि महाराज की कृपा बरसती है।
इन नामों से भी जानते हैं
बता दें, मकर संक्रांति पर सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। यही वजह है कि इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति को संक्रांति, पोंगल, माघी, उत्तरायण, उत्तरायणी और खिचड़ी पर्व आदि जैसे अलग अलग नामों से भी जाना जाता है।
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