ट्रेड डील में भारत का दमदार स्टैंड, चावल-गेहूं-डेयरी पर कोई ढील नहीं

राष्ट्रीय हित सर्वोपरि, समयसीमा नहीं
भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने जोर देकर कहा कि भारत व्यापार समझौतों को समयसीमा के दबाव में नहीं करता। उन्होंने 4 जुलाई को कहा कि कोई भी समझौता तभी होगा, जब वह राष्ट्रीय हितों के अनुकूल और दोनों देशों के लिए लाभकारी हो। अमेरिका ने 2 अप्रैल को भारतीय उत्पादों पर 26% रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था, जिसे 90 दिनों के लिए निलंबित किया गया, लेकिन 10% बेसलाइन टैरिफ अभी भी लागू है। भारत इस अतिरिक्त टैरिफ को पूरी तरह हटाने की मांग कर रहा है। यदि समझौता नहीं हुआ, तो 9 जुलाई के बाद यह टैरिफ फिर से लागू हो सकता है। भारत ने स्टील, ऑटो, और एल्युमीनियम जैसे क्षेत्रों में क्षेत्रीय टैरिफ से भी इनकार किया है। फरवरी में दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के पहले चरण को सितंबर-अक्टूबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा था।
क्या होगा अगला कदम?
सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि यदि मतभेद सुलझ गए, तो 9 जुलाई से पहले अंतरिम समझौते की घोषणा संभव है। भारत ने अपनी शर्तों पर बातचीत की है, जिसमें किसानों और स्थानीय उद्योगों के हितों को सुरक्षित रखा गया है। गोयल ने स्पष्ट किया कि भारत केवल तभी आगे बढ़ेगा, जब समझौता पारस्परिक लाभ और राष्ट्रीय हितों को सुनिश्चित करे। अब सबकी नजरें अमेरिका के फैसले पर टिकी हैं, क्योंकि समयसीमा नजदीक आ रही है।
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