भारत-चीन संबंधों में नया अध्याय, दोस्ती की हुई शुरुआत; जिनपिंग बोले - मैं PM मोदी से मिलकर...

India-China Relations: 31 अगस्त को चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक द्विपक्षीय मुलाकात हुई। यह मुलाकात सात साल बाद पीएम मोदी की पहली आधिकारिक चीन यात्रा का हिस्सा थी और पिछले दस महीनों में दोनों नेताओं की दूसरी मुलाकात थी। इस मुलाकात को वैश्विक और क्षेत्रीय स्थिरता की दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है, खासकर तब जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिकी टैरिफ नीतियों के कारण उथल-पुथल मची हुई है।
मुलाकात के दौरान हुई मुख्य बातें
तियानजिन में हुई इस मुलाकात में पीएम मोदी और शी जिनपिंग ने आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया। शी जिनपिंग ने कहा 'मुझे पीएम मोदी से दोबारा मिलकर बहुत खुशी हुई। मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में भारत और चीन का अच्छे पड़ोसी और मित्र के रूप में साथ आना जरूरी है।' उन्होंने दोनों देशों को प्राचीन सभ्यताओं और ग्लोबल साउथ के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में देखते हुए सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई।
जिनपिंग ने आगे कहा 'दोनों देशों को अपने संबंधों को रणनीतिक दृष्टिकोण और दीर्घकालिक नजरिए से देखना और संभालना चाहिए। हमें बहुपक्षीयता को बनाए रखने के लिए एक बहुध्रुवीय विश्व और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अधिक लोकतंत्र लाने के लिए मिलकर कार्य करना होगा। साथ ही एशिया व पूरी दुनिया में शांति और समृद्धि के लिए अपने सच्चे योगदान देने होंगे।' उन्होंने कहा कि त्येनजिन में आपसे एक बार फिर मिलकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) त्येनजिन शिखर सम्मेलन के लिए चीन में आपका स्वागत है। पिछले वर्ष कज़ान में हमारे बीच सफल बैठक हुई थी, और चीन-भारत संबंधों की एक नई शुरुआत हुई थी। दोनों पक्षों ने उस महत्वपूर्ण सहमति को प्रभावी ढंग से लागू किया है, जिस पर हम सहमत हुए थे, और तब से द्विपक्षीय संवाद और सहयोग में नई प्रगति हुई है।"
भारत-चीन के बीच संबंध
भारत और चीन के बीच संबंधों का इतिहास उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। 1950 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए, लेकिन 1962 का सीमा युद्ध और 2020 में पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प ने इन रिश्तों को गहरी चोट पहुंचाई। हालांकि, 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की चीन यात्रा, 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की यात्रा, और 2018-2019 में वुहान व चेन्नई में अनौपचारिक शिखर सम्मेलनों ने आपसी विश्वास बहाली की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। हाल ही में 2024 में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की मुलाकात ने संबंधों को और बेहतर करने की दिशा में नई उम्मीदें जगाईं।
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