AI और Machine Learning भारतीय जॉब मार्केट के लिए बनेगा खतरा,सामने आई वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट
Technology: चैट जीपीटी, गूगल बार्ड जैसे आर्टिफिशिल इंटैलिजैंस के आने से सबसे बड़ा डर इंसानों को नौकरी जाने का लग रहा था। AI के बढ़ते स्वरूप के वजह से ये डर सच होता सा लग रहा है । दरअसल, एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि कारण अगले पांच सालों में भारतीय जॉब मार्केट में नौकरियों में करीब 22प्रतिशत की कमी देखने को मिल सकती है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum ) की फ्यूचर जॉब रिपोर्ट में बताया गया कि वैश्विक स्तर पर नए ट्रेंड के कारण 2027 तक नौकरियों में 23 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है। इस दौरान पूरी दुनिया में 6.9 करोड़ नई नौकरियां पैदा होंगी, जबकि 8.3 करोड़ नौकरियां कम होंगी।डब्लूईएफ( WEF)ने कहा कि अगले पांच सालों में दुनिया में एक चौथाई नौकरियां घट सकती हैं। इस दौरान नौकरियों में बढ़ोतरी की दर 10.2 प्रतिशत और गिरावट की दर 12.3 प्रतिशत रह सकती है।
बता दें, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ओर से ये डाटा 803कंपनियों का सर्वे कर तैयार किया गया है। रिपोर्ट में नियोक्ताओं के हवाले से 67.3करोड़ नौकरियों के डाटा के आधार पर बताया गया कि 1.4करोड़ नौकरियां वैश्विक स्तर पर अगले पांच सालों में जा सकती हैं।
जिन 803 कंपनियां का सर्वे किया गया है। वहां करीब 1.13 करोड़ कर्मचारी काम करते हैं। ये कंपनियां दुनिया की 45 देशों और 27 इंडस्ट्री में सक्रिय हैं।सर्वे में 61प्रतिशत भारतीय कंपनियों का कहना है कि ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) मानकों के व्यापक अनुप्रयोग से नौकरी में वृद्धि होगी। 59प्रतिशत का मानना है कि नई टेक्नोलॉजी के उपयोग से और 55प्रतिशत का मानना है कि डिजिटल पहुंच बढ़ने से नौकरियों में वृद्धि होगी।वहीं, सर्वे में भाग ले चुकी पांच में से चार कंपनियों का कहना है कि वे लर्निंग और ट्रेनिंग में निवेश करने के साथ ऑटोमेटिक प्रोसेस में अगले पांच साल में निवेश करेंगी।
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