लोकसभा में गरमाया दागी PM-CM को हटाने का मुद्दा, विपक्ष का विरोध, JPC करेगा विचार
LokSabha Bill: केंद्र सरकार ने 20अगस्त 2025को लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए, जिनमें गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार नेताओं को 30दिन की हिरासत के बाद 31वें दिन इस्तीफा देना होगा या उन्हें पद से हटा दिया जाएगा। ये विधेयक हैं: संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) विधेयक 2025, केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025, और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इन बिलों को पेश किया और कहा कि इन्हें संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में विचार के लिए भेजा जाएगा। इन बिलों का उद्देश्य आपराधिक छवि वाले नेताओं को संवैधानिक पदों से हटाकर सुशासन सुनिश्चित करना है।
बिलों के पेश होने के बाद कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, और अन्य विपक्षी दलों ने तीखा विरोध जताया, जिसके चलते लोकसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इन बिलों को "विनाशकारी" करार देते हुए कहा कि ये संविधान के सिद्धांत "जब तक दोष सिद्ध न हो, तब तक निर्दोष" को कमजोर करते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यह विधेयक कार्यकारी एजेंसियों को असीमित शक्ति देता है, जो लोकतंत्र के लिए खतरा है।
ओवैसी और आप ने लगाए गंभीर आरोप
AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने बिलों को जनता के सरकार चुनने के अधिकार पर हमला बताया और इसे "पुलिस राज्य" की ओर कदम करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कार्यकारी एजेंसियों को मनमाने ढंग से नेताओं को हटाने की शक्ति देता है। आम आदमी पार्टी (आप) ने भी बिल का कड़ा विरोध किया। आप नेता अनुराग ढांडा ने कहा कि केंद्र सरकार विपक्षी नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करती है, और इस बिल से निर्दोष नेताओं को भी हटाया जा सकता है, जैसा कि सत्येंद्र जैन के मामले में हुआ।
विवादों के बीच जेपीसी की भूमिका अहम
इन विधेयकों ने राजनीतिक गलियारों में तीव्र बहस छेड़ दी है। विपक्ष इसे विपक्षी सरकारों को अस्थिर करने की साजिश मान रहा है, जबकि सरकार इसे नैतिकता और पारदर्शिता का कदम बता रही है। जेपीसी में इन बिलों की गहन जांच होगी, और इसके नतीजे देश की राजनीति पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकते हैं।
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