111 फर्जी कंपनियों से हजार करोड़ का घोटाला और चीन कनेक्शन, CBI का बड़ा खुलासा
CBI Investigation: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने हाल ही में एक बड़े ट्रांसनेशनल साइबर फ्रॉड रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसमें हजार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी शामिल है। इस मामले में CBI की चार्जशीट से चीन कनेक्शन का खुलासा हुआ है, जहां चार चीनी नागरिकों को मुख्य साजिशकर्ता के रूप में नामित किया गया है। जांच में 111फर्जी कंपनियों की भूमिका सामने आई है, जो इस घोटाले की रीढ़ बनीं। CBI जांच में पता चला कि यह स्कैम 2020से चल रहा था, जब कोविड-19महामारी के दौरान लोगों को ऑनलाइन निवेश और नौकरी के लुभावने ऑफर्स से ठगा गया।
घोटाले का पैमाना और तरीका
बता दें, यह फ्रॉड एक सुनियोजित अंतरराष्ट्रीय गिरोह द्वारा चलाया गया, जिसमें फर्जी लोन ऐप्स, निवेश योजनाएं, पोंजी स्कीम्स, मल्टी-लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) मॉडल, झूठे पार्ट-टाइम जॉब ऑफर्स और ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया गया। गिरोह ने गूगल विज्ञापनों, बल्क एसएमएस कैंपेन, सिम-बॉक्स आधारित मैसेजिंग सिस्टम, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर, फिनटेक प्लेटफॉर्म्स और कई म्यूल बैंक अकाउंट्स का सहारा लिया ताकि पीड़ितों को फंसाया जा सके और उनकी पहचान छिपाई जा सके।
CBI जांच से पता चला कि गिरोह ने 111शेल कंपनियां बनाईं, जिनमें डमी डायरेक्टर्स, जाली दस्तावेज, फर्जी पते और झूठे बिजनेस ऑब्जेक्टिव्स का इस्तेमाल किया गया। इन कंपनियों के जरिए बैंक अकाउंट्स और मर्चेंट अकाउंट्स खोले गए, जो घोटाले की कमाई को लेयरिंग और डायवर्ट करने के लिए इस्तेमाल हुए। एक अकेले म्यूल अकाउंट में ही कम समय में 152करोड़ रुपये से ज्यादा जमा हुए। कुल मिलाकर, 1000करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि इन अकाउंट्स से गुजरी, जो विदेशी हैंडलर्स द्वारा नियंत्रित थी।
चीन कनेक्शन और मुख्य आरोपी
CBI की चार्जशीट में 17लोगों और 58कंपनियों को आरोपी बनाया गया है। मुख्य साजिशकर्ता चार चीनी नागरिक Zou Yi, Huan Liu, Weijian Liu और Guanhua Wang हैं। ये विदेश में रहकर भारतीय सहयोगियों को निर्देश देते थे, जो आम लोगों से आईडी दस्तावेज जुटाकर शेल कंपनियां बनाते थे। जांच में पाया गया कि एक भारतीय आरोपी का यूपीआई आईडी अगस्त 2025तक विदेशी लोकेशन से एक्टिव था, जो विदेशी नियंत्रण की पुष्टि करता है। यह गिरोह एक ही कोऑर्डिनेटेड सिंडिकेट का हिस्सा था, जो डिजिटल और फाइनेंशियल इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल कर हजारों लोगों को ठग रहा था।
दरअसल, यह मामला इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के इनपुट्स से शुरू हुआ, जो गृह मंत्रालय के अधीन है। CBI ने इसे ऑपरेशन CHAKRA-V के तहत जांचा, जो साइबर-इनेबल्ड फाइनेंशियल क्राइम्स पर फोकस करता है। अक्टूबर 2025 में तीन मुख्य भारतीय सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया। कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, झारखंड और हरियाणा में 27 लोकेशन्स पर सर्च की गईं, जहां डिजिटल डिवाइसेज, दस्तावेज और फाइनेंशियल रिकॉर्ड्स जब्त किए गए। इनकी फोरेंसिक जांच से स्कैम के डिजिटल फुटप्रिंट्स, फंड फ्लो पैटर्न्स और पेमेंट गेटवेज की समानताएं सामने आईं, जो एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करती हैं।
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