Magh Mela 2026: पवित्र स्नान के लिए तैयार रहें! 44 दिन तक चलेगा माघ मेला, कब शुरू होगा कल्पवास? यहां मिलेगी पूरी जानकारी
Prayagraj Magh Mela 2026:उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित होने वाला माघ मेला एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है, जो गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम त्रिवेणी पर लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। साल 2026 में यह मेला विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह 44 दिनों तक चलेगा और कल्पवास की अवधि 29 दिनों की होगी। यह मेला न केवल पवित्र स्नान के लिए जाना जाता है, बल्कि ध्यान, उपवास और आध्यात्मिक साधना के लिए भी एक आदर्श अवसर प्रदान करता है। सरकारी स्तर पर तैयारियां जोरों पर हैं, जिसमें ड्रोन सर्वे, पोंटून ब्रिज और भीड़ प्रबंधन शामिल हैं, ताकि करोड़ों तीर्थयात्रियों को सुविधा मिल सके।
माघ मेला 2026 की अवधि और महत्व
माघ मेला 2026 की शुरुआत 03 जनवरी से होगी और यह 15 फरवरी तक चलेगा। यानी कुल 44 दिनों की लंबी अवधि का यह मेला हिंदू कैलेंडर के माघ मास में आयोजित होता है, जो सर्दियों के मौसम में आध्यात्मिक शुद्धि और पुनर्जन्म का प्रतीक माना जाता है। लाखों कल्पवासी यहां तंबुओं में रहकर साधना करते हैं, जबकि करोड़ों यात्री पवित्र डुबकी लगाने आते हैं। इस वर्ष मेला महाकुंभ की छाया में विशेष रूप से तैयार किया जा रहा है, जिसमें सुरक्षा, स्वच्छता और परिवहन पर जोर दिया गया है। मेला क्षेत्र में सरकारी टेंट सिटी, मेडिकल कैंप और लंगर की व्यवस्था होगी, ताकि श्रद्धालु सुरक्षित रह सकें।
29 दिनों की कल्पवास की अवधि
कल्पवास माघ मेले का मुख्य आकर्षण है, जो श्रद्धालुओं को एक महीने की तपस्या का अवसर देता है। 2026 में कल्पवास 03 जनवरी (पौष पूर्णिमा) से शुरू होकर 01 फरवरी (माघी पूर्णिमा) तक चलेगा, यानी कुल 29 दिनों की अवधि। इस दौरान कल्पवासी संगम तट पर रहते हैं, रोजाना स्नान करते हैं, उपवास रखते हैं और ध्यान में लीन रहते हैं। नियमों में मौन व्रत (विशेषकर मौनी अमावस्या पर), सात्विक भोजन, त्याग और ईश्वर भक्ति शामिल हैं। यह साधना वर्षों की तपस्या के बराबर मानी जाती है और आत्मिक शुद्धि प्रदान करती है। कल्पवास करने वाले श्रद्धालुओं को 3-4 महीने पहले आवास बुक करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि पीक समय में भीड़ बढ़ जाती है।
पवित्र स्नान की तिथियां
माघ मेले में पवित्र स्नान मुख्य धार्मिक संस्कार है, जो विभिन्न तिथियों पर आयोजित होता है। ये तिथियां खगोलीय घटनाओं और हिंदू पंचांग पर आधारित हैं।
03 जनवरी 2026 (पौष पूर्णिमा):मेले की आधिकारिक शुरुआत। यह कल्पवास का प्रारंभ दिवस है, जहां श्रद्धालु शुद्धि और मनोकामना पूर्ति के लिए डुबकी लगाते हैं। चंद्र पूजा का विशेष महत्व।
14 जनवरी 2026 (मकर संक्रांति):सूर्य का मकर राशि में प्रवेश। यह उत्तरायण का प्रतीक है, जो नवीनीकरण और कृतज्ञता का दिन है। लाखों यात्री इस दिन स्नान करते हैं।
18 जनवरी 2026 (मौनी अमावस्या):मेले का सबसे पवित्र दिन। मौन व्रत रखकर ध्यान और स्नान किया जाता है, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ाव प्रदान करता है। करोड़ों की भीड़ अपेक्षित।
25 जनवरी 2026 (रथ सप्तमी):सूर्य देव की पूजा। यह दिन स्वास्थ्य और ऊर्जा की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है, जहां सूर्योदय से पहले स्नान की सलाह दी जाती है।
1 फरवरी 2026 (माघी पूर्णिमा):कल्पवास का समापन। गुरु बृहस्पति की पूजा का दिन, जो आध्यात्मिक उन्नति और स्वर्ग प्राप्ति का प्रतीक है।
15 फरवरी 2026 (महाशिवरात्रि):मेले का समापन स्नान। भगवान शिव को समर्पित, जो पूरे मेले की साधना का चरम बिंदु है।
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