20 करोड़ एकादशी के बराबर है जन्माष्टमी का एक व्रत, जानें व्रत से जुड़े नियम

Krishna Janmashtami 2023: कृष्ण जन्माष्टमी नजदीक है। इस दिन श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को पूरे देश में धूम धाम से मनाया जाता है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इस दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं। जन्माष्टमी के व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है।
20 करोड़ एकादशी के बराबर मिलता है फल
हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव वाले दिन रखे जाने वाले व्रत की अपार महिमा बताई गई है, कहा जाता है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने पर व्यक्ति की सभी कामनाएं जल्द ही पूरी होती हैं। मान्यता है कि जन्माष्टमी के व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर होते हैं और उसे जीवन से जुड़े सभी सुख प्राप्त होते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार यह व्रत व्यक्ति को अकाल मृत्यु और पाप कर्मों से बचाते हुए मोक्ष प्रदान करता है। इसके साथ ही शास्त्रों के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत करने से 20 करोड़ एकादशी के फल की प्राप्ति होती है। लेकिन ये व्रत रखते हुए कुछ नियमों को भी ध्यान में रखना चाहिए।
इन नियमों का करें पालन
जन्माष्टमी का व्रत सप्तमी तिथि की शाम से शुरू हो जाता है। एक दिन पहले भी सात्मविक भोजन किया जाता है।
सबसे पहले जन्माष्टमी व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लेना चाहिए और अपने हाथ में तुलसी का पत्ता पकड़कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस दिन लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान भी कराना चाहिए। इसके साथ ही इस पंचामृत को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए।
विवाहित लोगों को इस दिन पूर्ण रूप से ब्रह्मचार्य व्रत का पालन करना चाहिए। इस दिन श्री विष्णु की पूजा कर उन्हें तिल अर्पित करना चाहिए। व्रत के दिन मध्याहन के समय पानी से स्नान करना चाहिए।
इस दिन लक्ष्मी-नारायण को कमल के फूलों से सजाना चाहिए। व्रत में फलों का सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा श्री कृष्ण के जन्म के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। जन्म के बाद भगवान को दूध, दही, फल आदि अर्पित करना चाहिए। इस दिन पानी में तुलसी की पत्ती डालकर उनका सेवन करना फलदायी माना जाता है।
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