Haryana News: सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और अन्य सेवाओं को लाभार्थी के घर द्वार पर पहुंचाना है- सीएम मनोहर लाल
चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सदस्यों द्वारा परिवार पहचान पत्र पर लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा कि पीपीपी आधार द्वारा निर्मित डिजिटल बुनियादी ढांचे और सिद्धांतों से लिया गया है। हालांकि इसकी प्रदायगी में यह आधार से कई गुना अधिक जटिल है। आधार में मुख्य रूप से यूनीक पहचान की जानकारी होती है, जबकि पीपीपी में आधार के रूप में विशिष्ट पहचान की जानकारी के अलावा सामाजिक-आर्थिक जानकारी भी होती है।
आधार में जन्मतिथि सत्यापित नहीं होती- सीएम
मुख्यमंत्री ने कहा कि आधार पहचान के अलावा किसी भी डेटा को सत्यापित नहीं करता है। उदाहरण के तौर पर आधार में जन्मतिथि सत्यापित नहीं होती। दूसरी और पीपीपी में उपलब्ध प्रत्येक जानकारी फील्ड को विशिष्ट प्रक्रियाओं के माध्यम से सत्यापित किया जाता है। यह पीपीपी को लाभार्थियों की सक्रिय रूप से पहचान करने में सक्षम बनाता है, जबकि आधार लाभार्थियों की पहचान करने में सक्षम नहीं है बल्कि दोहराव को ही समाप्त कर सकता है।
एकीकरण करने में 6साल से अधिक का समय लगा
मनोहर लाल ने कहा कि आधार को बड़े पैमाने पर तैयार करने और योजनाओं के साथ एकीकरण करने में 6साल से अधिक का समय लगा, जबकि पीपीपी, बीच में कोरोना वायरस महामारी के बावजूद 2साल में तैयार कर लिया गया। आधार के समान पीपीपी को भी कार्यान्वयन में आने वाली कठिनाइयों और मुद्दों को दूर करने के लिए सुधार की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा है। इन परिस्थितियों में हरियाणा ने देश के हर राज्य को आधार से जुड़े लाभों को आगे बढ़ाने का रास्ता दिखाया है।
कई योजनाओं और सेवाओं को पीपीपी से जोड़ा गया है
सीएम ने कहा कि पीपीपी का प्राथमिक उद्देश्य प्रत्येक सरकारी एजेंसी द्वारा अलग से निरीक्षण या सत्यापन की प्रक्रिया पूरी करने या प्रमाण के रूप में दस्तावेज जमा करने या किसी सरकारी कार्यालय जाए बिना लाभार्थी को उसके घर द्वार पर सक्रिय रूप से लाभ प्रदान करना है। पिछले वर्ष में सक्रिय प्रदायगी के लिए कई योजनाओं और सेवाओं को पीपीपी से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि पीपीपी में एक परिवार के सभी व्यक्तियों के डेटा तत्वों का संकलन होता है, जो योजनाओं और सेवाओं के लिए पात्रता निर्धारित करने के उद्देश्य से विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा अपेक्षित है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रत्येक डेटा फील्ड को अनुकूलित और परिभाषित प्रक्रियाओं के माध्यम से सत्यापित किया जाता है। प्रत्येक परिवार का डेटा परिवार के एक वयस्क सदस्य द्वारा हस्ताक्षरित स्व- घोषणा के आधार पर एकत्र किया जाता है और फिर अलग से सत्यापित किया जाता है। पीपीपी में पारिवारिक रिश्ते भी उल्लिखित होते हैं और प्रत्येक परिवार को 8 अंको की पारिवारिक आईडी प्रदान की जाती है।
दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं है- सीएम
उन्होंने कहा कि पारिवारिक संरचना को भी हर समय अपडेटेड रखा और अद्यतन किया जाता है, जिसमें जन्म, मृत्यु या विवाह के कारण होने वाले परिवर्तन, जहाँ तक संभव हो इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्वचालित रूप से, एकत्रित और अद्यतन किए जाते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि परिवार पहचान संख्या से कई योजनाओं और सेवाओं के लिए शपथ पत्र या दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं है। उदाहरण के लिए, अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आवेदक को पहले एक आवेदन के साथ एक हलफनामा जमा करना पड़ता था, जिसे नंबरदार, पटवारी, कानूनगो द्वारा सत्यापित किया जाता था और उसके बाद भौतिक पद्धति में तहसीलदार द्वारा जारी किया जाता था।
6.96 लाख से अधिक प्रमाणपत्र जारी किये जा चुके है
मुख्यमंत्री ने कहा कि अप्रैल, 2022 में पीपीपी के माध्यम से अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को सक्रिय रूप से जारी करने की शुरुआत के बाद आवेदक को ऑनलाइन ढंग से पंजीकृत मोबाइल नंबर पर ओटीपी का उपयोग करके अपनी पहचान प्रमाणित करनी होती है और उसके बाद एससी प्रमाणपत्र प्रिंट करना होता है। यह योजना शुरू होने के बाद 25 अगस्त, 2023 तक 6.96 लाख से अधिक प्रमाणपत्र जारी किये जा चुके है।
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