ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी कोर्ट में खेली यूक्रेन कार्ड की रणनीति, कहा - शांति के लिए भारत पर टैरिफ लगाना जरूरी

India Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने हाल ही में भारत पर लगाए गए 50%आयात शुल्क को सुप्रीम कोर्ट में बरकरार रखने की अपील की है। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि यह टैरिफ न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए जरूरी है, बल्कि यह यूक्रेन में शांति स्थापित करने की कोशिशों का भी एक अहम हिस्सा है। यह दलील उस समय सामने आई है, जब एक निचली अदालत ने ट्रंप के इस कदम को अवैध ठहराते हुए कहा था कि राष्ट्रपति ने अपनी आपातकालीन शक्तियों का दुरुपयोग किया।
ट्रंप प्रशासन की दलील
अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल जॉन सॉयर ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील में कहा कि यह टैरिफ रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न राष्ट्रीय आपातकाल से निपटने के लिए लगाया गया है। दस्तावेजों में इसे 'यूक्रेन में शांति की कोशिशों का अहम हिस्सा' और 'आर्थिक तबाही से बचाने वाली ढाल' बताया गया। ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि यदि यह टैरिफ हटाया गया, तो अमेरिका को व्यापारिक प्रतिशोध का सामना करना पड़ सकता है और विदेशों में शांति स्थापित करने के प्रयास कमजोर हो जाएंगे।
हालांकि, अमेरिकी फेडरल सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने 7-4के बहुमत से फैसला सुनाया था कि टैरिफ लगाने का अधिकार मुख्य रूप से कांग्रेस के पास है, न कि राष्ट्रपति के पास। कोर्ट ने माना कि ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक आपातकाल कानून (IEEPA) का दुरुपयोग किया। फिर भी, इस फैसले को 14अक्टूबर तक निलंबित रखा गया है, ताकि ट्रंप प्रशासन सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके।
टैरिफ का आधार और भारत पर प्रभाव
मालूम हो कि 27अगस्त 2025से लागू हुए इस 50%टैरिफ में 25%व्यापार घाटे के कारण और 25%रूस से तेल खरीदने के लिए दंडात्मक शुल्क के रूप में शामिल हैं। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि भारत द्वारा रूस से सस्ता तेल खरीदना रूस की युद्ध मशीन को वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जो यूक्रेन में चल रहे संघर्ष को बढ़ावा दे रहा है। इस टैरिफ का असर भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों जैसे कपड़ा, आभूषण, कालीन, झींगा और फर्नीचर पर पड़ रहा है, जो अमेरिकी बाजार में महंगे हो गए हैं। भारत के कुल निर्यात का लगभग 18%हिस्सा अमेरिका को जाता है, और इस टैरिफ से भारतीय अर्थव्यवस्था पर गंभीर आर्थिक दबाव पड़ सकता है।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने इस टैरिफ को अनुचित और एकतरफा करार दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि टैरिफ का मुद्दा भारत-पाकिस्तान युद्धविराम जैसे अन्य मुद्दों से जोड़ा जाना गलत है। भारत ने यह भी तर्क दिया कि चीन, जो रूस से तेल का सबसे बड़ा आयातक है और यूरोपीय देश, जो रूस से ऊर्जा उत्पाद खरीदते हैं, पर इस तरह का कोई दंडात्मक टैरिफ नहीं लगाया गया। भारत ने अपनी राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और रूस के साथ अपने ऊर्जा व्यापार को जारी रखने का संकल्प जताया है।
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