'Mini Brazil' in India: भारत में कहाँ है 'मिनी ब्राज़ील'? जिसका PM मोदी ने हालिया भाषण में किया था जिक्र
'Mini Brazil' in India: भारत एक ऐसा देश है जो क्रिकेट में अपने कारनामों के लिए अधिक जाना जाता है, जिसका श्रेय कपिल देव और धोनी जैसे दिग्गजों को जाता है, जिनके नेतृत्व में 1983 और 2011 विश्व कप जीत को जाता है। वहीं 2007 में भी, धोनी ने शुरुआती T20 विश्व कप जीतने के लिए एक युवा ब्रिगेड को प्रोत्साहित किया है। लेकिन जब अन्य खेलों की बात आती है, खासकर फुटबॉल की, तो इसकी फैन फॉलोइंग देश के कुछ खास हिस्सों में ही है।
आपको बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में BJPमुख्यालय में अपने हालिया भाषण में एक गांव को देश का 'मिनी ब्राजील' बताया था। जी हां, मध्य प्रदेश का एक गांव बेहतरीन फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए जाना जाता है। आइये जानते हैं इस गांव के बारे में।
इस आदिवासी गांव की बात कर रहे थे PM
PMमोदी जिस गांव की बात कर रहे हैं वह शहडोल जिले का एक वनों से घिरा आदिवासी गांव बिचारपुर है। पहले के समय मेंबिचारपुर को अच्छे कारणों से नहीं जाना जाता था, लेकिन अब यह पूरी तरह से बदल गया है और गांव के लगभग हर घर में एक फुटबॉलर है। खबरों के अनुसार, इसने पहले ही लगभग 45 फुटबॉल खिलाड़ी तैयार किए हैं जिन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावित किया है। सान्या कुंडे, रजनी सिंह, लक्ष्मी सहिस, अनिल सिंह गोंड और हनुमान सिंह उन कई फुटबॉल खिलाड़ियों में से हैं जिन्होंने खेल में प्रशंसा अर्जित की है।
आखिर किसने पलटी इस गांव की किस्मत?
जिस शख्स ने दुख से उबरकर 'मिनी ब्राजील' बनाया वह पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी और अब कोच रईस अहमद हैं। उन्होंने युवाओं की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अपने दम पर प्रशिक्षण देना शुरू किया। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने अतिरिक्त प्रयास किए और शुरुआत में अपना पैसा निवेश किया, और युवाओं ने फुटबॉल में अधिक रुचि लेना शुरू कर दिया था। PM मोदी ने इस साल जुलाई में पहले 'मन की बात' सत्र में भी उनके बारे में बात की थी, जब उन्होंने यह कार्यभार संभालने के लिए रईस की प्रशंसा की थी।
उन्होंने कहा था कि,"रईस अहमद ने इन युवाओं की प्रतिभा को पहचाना। रईस जी के पास ज्यादा संसाधन नहीं थे, लेकिन उन्होंने पूरी लगन के साथ युवाओं को फुटबॉल सिखाना शुरू किया। कुछ ही सालों में फुटबॉल इतना लोकप्रिय हो गया कि बिचारपुर गांव की पहचान ही फुटबॉल से हो गई।"
फुटबॉल क्रांति के बाद गांव में खुले इतने क्लब
हाल ही में 'फुटबॉल क्रांति' कार्यक्रम भी हुआ और अब इस खेल ने पूरे शहडोल जिले में इस तरह रुचि जगाई है कि 1200 से अधिक फुटबॉल क्लब बन गए हैं। शहडोल से राष्ट्रीय स्तर पर उभरने वाले खिलाड़ियों की संख्या भी अब बढ़ रही है और निश्चित रूप से देश का यह हिस्सा अब देश की फुटबॉल नर्सरी बन गया है।
हर गुजरते साल के साथ भारतीय फुटबॉल टीम में भी सुधार हो रहा है, शहडोल जिले से इतने सारे फुटबॉल खिलाड़ियों के उभरने से यह उम्मीद जगी है कि देश निश्चित रूप से इस खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानचित्र पर होगा।
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