'एक व्यक्ति, कई वोटर लिस्ट...', CEC के बयान पर कांग्रेस ने पूछा - कोर्ट में क्या जवाब देंगे?
Pawan Khera Statement: रविवार 17अगस्त को मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं पर बयान दिया। उन्होंने कहा 'मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का उद्देश्य सभी कमियों को दूर करना है, लेकिन कुछ दल इस पर भ्रामक प्रचार कर रहे हैं और चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर राजनीति कर रहे हैं।' CEC ने आगे कहा 'तो क्या हुआ अगर एक ही व्यक्ति कई जगह वोटर लिस्ट में दर्ज है, वोट तो फिर भी एक ही बार डालेगा।'
वहीं, अब इस बयान पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने इस बयान को गैर-जिम्मेदाराना करार देते हुए सवाल उठाया कि क्या चुनाव आयोग इस दलील को अदालत में शपथपत्र के जरिए पेश करने को तैयार है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि हम किसी वोटर के कंधे पर बंदूक रखकर राजनीति नहीं कर रहे, बल्कि पीएम मोदी आपके नाजुक कंधों पर बंदूक रखकर लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने उठाए सवाल
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस मुद्दे पर तंज कसते हुए कहा कि CEC का बयान सुनकर ऐसा लगता है मानो यह भारतीय जनता पार्टी (BJP) की स्क्रिप्ट हो। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने जो तथ्य पेश किए, वे छह महीने की मेहनत के बाद स्वयं चुनाव आयोग के डेटा से प्राप्त किए गए थे। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर मतदाता सूची में एक व्यक्ति के कई बार नाम दर्ज होने की बात को इतना हल्के में लिया जा रहा है, तो क्या चुनाव आयोग इसे कानूनी रूप से कोर्ट में सही ठहराएगा।
कांग्रेस ने बिहार में विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया के तहत 65लाख मतदाताओं के नाम काटे जाने का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि चुनाव आयोग ने इसमें से कई जिंदा लोगों को मृत घोषित कर उनके नाम हटाए गए, जो लोकतंत्र के लिए खतरा है। साथ ही, कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देश का हवाला दिया, जिसमें कोर्ट ने चुनाव आयोग से बिहार में हटाए गए 65लाख मतदाताओं के नाम और उनके हटाने के कारण बताने को कहा है।
चुनाव आयोग का पक्ष
बता दें, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि SIR का उद्देश्य मतदाता सूची की कमियों को दूर करना है। उन्होंने विपक्ष पर भ्रामक प्रचार करने का आरोप लगाया। इसके अलावा उन्होंने राहुल गांधी के 'वोट चोरी' के दावों को खारिज करते हुए कहा कि अगर कोई ठोस सबूत है, तो सात दिनों के भीतर हलफनामा दाखिल करना होगा, वरना देश से माफी मांगनी होगी।
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