भारतीय सेना को मिलेगी 400 नई हॉवित्जर तोपें, ‘Made In India’ के तहत देश मे बानई जाएंगी तोपें, जानें खासियत

नई दिल्ली: भारतीय सेना ने अपनी प्रमुख आधुनिकीकरण योजना के हिस्से के रूप में, जल्द ही 750 मिलियन रुपये के सौदे के तहत 400 नए हॉवित्जर तोप खरीदने की योजना बना रही है।इसके लिए सेना पूरी तरह से भारतीय कंपनियों पर निर्भर रहेगी। स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित (IDDM) श्रेणी के हिस्से के रूप में तोप खरीदने के लिए एक प्रस्ताव लाया गया है।
आपको बता दें कि,भारतीय सेना अब 155 मिमी तोपों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, क्योंकि भविष्य उनका है। इन तोपों के जरिए आप न सिर्फ गोले बल्कि रॉकेट, ड्रोन से भी सटीक फायरिंग कर सकते हैं। दरअसल भारतीय सेना 400 नई तोपें खरीदने जा रही है। इनमें धनुष, शारंग, अल्ट्रा लाइट होवित्जर, के-9 वज्र टैंक भी शामिल होंगे।
अभी कौन सी तोपें उपयोग कर रही है भारतीय सेना?
धनुष (Dhanush)
155 मिमी/45 कैलिबर टोड हॉवित्जर धनुष को वर्ष 2019 में भारतीय सेना में शामिल किया गया है। यह बोफोर्स तोप का स्वदेशी संस्करण है। वर्तमान में सेना के पास 12 धनुष हैं। 114 का ऑर्डर दे दिया गया है। जिनकी संख्या अंत तक 414 तक बढ़ाई जा सकती है। अब तक 84 बन चुके हैं।
धनुष को चलाने के लिए 6 से 8 दल की आवश्यकता होती है। इसके गोले की मारक क्षमता 38 किलोमीटर है। बर्स्ट मोड में यह 15 सेकंड में तीन राउंड फायर करता है। इंटेंस मोड में 3 मिनट में 15 राउंड और निरंतर मोड में 60 मिनट में 60 राउंड। यानी जरूरत के मुताबिक दुश्मन के छक्के छुड़ा सकता है।
एम-46 शारंग (M-46 Sharang)
यह एक फील्ड गन है। इसके दो वेरिएंट हैं- 133 मिमी और 155 मिमी। भारत के पास ऐसी 1100 फील्ड गन हैं। यह तीन दरों में फायर करता है। आमतौर पर एक मिनट में 6 राउंड। बर्स्ट मोड पर 8 राउंड और निरंतर मोड पर 5 राउंड। इसका प्रक्षेप्य लगभग एक किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दुश्मन की ओर बढ़ता है। इसके गोले की मारक क्षमता 27।5 किलोमीटर से 38 किलोमीटर तक है।
K9-वज्र T(K-9 Vajra-T)
155 मिमी स्व-चालित तोपखाना K9-वज्र टी है। भारतीय सेना में ऐसी 100 तोपें तैनात हैं। इसके अलावा 200 तोपें और आ सकती हैं। दरअसल इसे दक्षिण कोरिया में बनाया गया है। लेकिन भारत में इसे देश की परिस्थितियों के अनुसार बदला गया। यह काम सिर्फ स्वदेशी कंपनी ही कर रही है।
इसके गोले की मारक क्षमता 18 से 54 किलोमीटर तक है। मतलब इतनी दूर बैठा दुश्मन बच नहीं सकता। हाल ही में चीन के साथ हुए संघर्ष के दौरान भी इसका इस्तेमाल किया गया था। इसमें 48 राउंड स्टोर होते हैं। परिचालन सीमा 360 किलोमीटर और अधिकतम गति 67 किलोमीटर प्रति घंटा है।
एटीएजीएस (ATAGS)
भारतीय सेना के पास फिलहाल 155 एमएम की इनमें से 7 तोपें हैं। इसका पहला परीक्षण साल 2016 में किया गया था। 40 तोपों का ऑर्डर दिया गया है। इसके अलावा 150 और तोपें बनाई जाएंगी। इसे चलाने के लिए 6 से 8 लोगों की जरूरत पड़ती है।
बर्स्ट मोड में यह 15 सेकंड में 3 राउंड फायर करता है, तीव्रता में यह 3 मिनट में 15 राउंड फायर करता है और 60 मिनट में यह 60 राउंड फायर करता है। इसकी फायरिंग रेंज 48 किलोमीटर है। लेकिन इसे बढ़ाकर 52 करने का प्रयास किया जा रहा है।
अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर (ULH)
भारत के पास इनमें से 155 मिमी की 110 से अधिक तोपें हैं। इसे आठ लोग मिलकर चलाते हैं। एक मिनट में 7 गोले दागता है। अलग-अलग कोणों पर गोले की मारक क्षमता 24 से 40 किलोमीटर है। गोला एक किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से दुश्मन की ओर बढ़ता है। इसे चीन और पाकिस्तान सीमा पर तैनात किया गया है।
इसका वजन 4200 किलोग्राम है। लंबाई 35 फीट है। इसके बैरल की लंबाई 16।7 फीट है। इसकी मदद से छह तरह के गोले दागे जा सकते हैं। सभी गोले 155 मिमी कैलिबर के हैं। सामान्यतः यह तोप प्रति मिनट दो गोले तथा अधिकतम 7 गोले प्रति मिनट की गति से दाग सकती है। इसमें दागे गए एक्सकैलिबर गोले की मारक क्षमता 40 किलोमीटर है।
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