लाहौरी गेट पर फहराया गया तिरंगा, जानिए कैसी थी आजाद भारत की पहली सुबह

Independence Day 2023: फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की दो पंक्तियां हैं,
‘ये दाग़ दाग़ उजाला ये शब-गज़ीदा सहर,
वो इंतज़ार था जिस का ये वो सहर तो नहीं’
15 अगस्त 1947 भारत की आजादी की पहली सुबह जिसका इंतजार हर भारतीय को था। वो सुबह जिसे देखने के लिए हर आंखें बेताब थी।उस दिन आसमान भी आजाद भारत की खुशी में झूम रहा था। ऐसा माना जाता है कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु जब झंडा फहराने जा रहे थे तो आसमान में सतरंगी समां हो गया था दूसरे शब्दों में कहें तो आसमान में इंद्रधनुष दिखाई दिया था।इसका वर्णन माउंटबेटन ने 16 अगस्त 1947 को लिखी अपनी 17वीं रिपोर्ट में भी किया है ।मन में एक ख्याल जरूर आता है कि आखिर आजाद भारत की पहली सुबह कैसी थी और उस दिन क्या कुछ हुआ था।
देश के पहले प्रधानमंत्री का वो पहला भाषण
अंग्रेजों के 200 साल के शासन के बाद आखिर 1947 में भारत को आजादी मिली ही गई। इस आजादी को दिलाने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने हंसते हंसते अपनी जान दे दी। पंडित जवाहरलाल नेहरू का वो आजाद भारत का पहला भाषण जो पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 14-15 अगस्त की आधी रात को दिया था वो आज भी लोगों के रग रग में बसा हुआ है। उन्होंने कहा था आज रात 12 बजे जब पूरी दुनिया सो रही होगी उस वक्त भारत एक आजाद जीवन के साथ नई शुरूआत कर रहा होगा।
शहनाई की धुन से हुई थी सुबह की शुरूआत
जवाहर लाल नेहरू ने आजाद भारत की पहली सुबह पर बिस्मिल्लाह खां से शहनाई बजाने का निवेदन किया था। बिस्मिल्लाह खां उस वक्त मुंबई में थे। लेकिन उन्हें जवाहर लाल नेहरू के आग्रह पर एयरफोर्स के विमान से दिल्ली लगाया गया था।जिसके बाद बिस्मिल्लाह खां और उनके साथियों ने धुन बजा कर आजादी की सुबह का मधुर स्वागत किया था। फिर पंडित नेहरु ने लाल किले के लाहौरी गेट पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। उस दिन देशभर में अलग ही उत्साह का माहौल था और उस वक्त भी हजारों की भीड़ लालकिले पर जश्न मनाने के लिए जुटी थी।
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