हरियाणा के अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर को SC से राहत, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर टिप्पणी की जांच जारी

Professor Ali Khan Case: हरियाणा के अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दे दी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तार प्रोफेसर को अंतरिम जमानत दे दी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने सरकार को मामले की जांच के लिए SIT गठित करने का निर्देश देते हुए यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी है लेकिन अभी ही टिप्पणी क्यों।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली बेंच में अली खान की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने कहा है कि अली खान को अंतरिम जमानत दे दी गई। लेकिन उन्हें जमानत की कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। इसके अलावा कोर्ट ने जांच को जारी रखने का आदेश दिए है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनकी टिप्पणी वास्तव में आपराधिक थी या नहीं।
कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है, लेकिन इसकी कुछ सीमाएं भी हैं। लेकिन जस्टिस सूर्यकांत ने सवाल उठाया कि 'युद्ध के समय ऐसी टिप्पणी करने की क्या जरूरत थी? यह समय सेना के मनोबल को बढ़ाने का था, न कि विवाद खड़ा करने का।'
क्या है पूरा मामला?
बता दें, 08मई को प्रोफेसर अली खान ने एक फेसबुक पोस्ट में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर टिप्पणी की थी। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को भारत की आतंकवाद विरोधी नीति का हिस्सा बताया और कहा कि यह दिखाता है कि भारत अब आतंकी संगठनों और पाकिस्तानी सेना के बीच अंतर नहीं करेगा उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी की प्रशंसा करने वाले दक्षिणपंथी टिप्पणीकारों से मॉब लिंचिंग और अवैध बुलडोजिंग के पीड़ितों के लिए भी आवाज उठाने की अपील की। जिसे कुछ लोगों ने सांप्रदायिक और सेना का अपमान करने वाला माना। जिसके बाद अली खान ने अपनी सफाई में कहा कि उनकी टिप्पणी को गलत संदर्भ में लिया गया। उन्होंने कहा 'यह पोस्ट देशभक्ति को दर्शाती है और भारत की विविधता में एकजुटता को रेखांकित करती है।'
हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया और जठेड़ी गांव के सरपंच व बीजेपी युवा मोर्चा के महासचिव योगेश जठेड़ी ने इस पोस्ट के आधार पर दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कीं। इनमें भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 (राष्ट्र की संप्रभुता को खतरे में डालने), 196 (सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देना), 79 (महिला की गरिमा का अपमान), और 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।
18 मई को गिरफ्तारी के बाद, अली खान को सोनीपत की राय पुलिस स्टेशन में ले जाया गया और एक मामले में दो दिन की पुलिस हिरासत में रखा गया। जिसके बाद 20 मई को सोनीपत की एक स्थानीय अदालत ने अली खान को 27 मई तक के लिए 14दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इसके बाद 19 मई को वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच के समक्ष इस मामले में तुरंत सुनवाई की मांग की।
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