भारत के इस दिव्यास्त्र का कल रात हुआ सफल परीक्षण, जानें क्यों China-Pakistan के लिए काल है ये मिसाइल?
DRDO Successfully Conducted Test OF Agni-Prime: कल रात की खबर के बाद चीन और पाकिस्तान का गला जरूर सूखने लगा होगा! दरअसल,भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) ने 3 अप्रैल 2024 की रात को ओडिशा के तट से परमाणु हथियार ले जाने वाली सक्षण बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल का नाम अग्नि-प्राइम(Agni-prime)है। यह मिसाइल हल्के पदार्थ से बनाई गई है। यह Agni-1 मिसाइल की जगह लेगी।
बता दें कि,यह अगली पीढ़ी की मिसाइल है। यानी अगली पीढ़ी। अग्नि-प्राइम का परीक्षण रात में डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप पर किया गया। परीक्षण के दौरान मिसाइल सभी मानकों पर खरी उतरी। अग्नि सीरीज की मिसाइलों में ये बेहद घातक, आधुनिक और मध्यम दूरी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें हैं।
इस मिसाइल का संचालन भारत की स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड के तहत किया जाएगा। इसे Agni-Pभी कहा जाता है। 34.5 फीट लंबी मिसाइल पर एक या एकाधिक इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) वॉरहेड लगाए जा सकते हैं। यानी आप एक साथ कई लक्ष्यों पर हमला कर सकते हैं।
1500-3000किलोग्राम वजन वाले लगाए जा सकते हैं वॉरहेड
यह मिसाइल उच्च तीव्रता वाले विस्फोटक, थर्मोबेरिक या परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। मिसाइल की नाक पर 1500 से 3000 किलोग्राम वजन के हथियार लगाए जा सकते हैं। यह दो चरणों वाली रॉकेट मोटर पर चलने वाली मिसाइल है। इस मिसाइल का वजन 11 हजार किलोग्राम है। यह एक ठोस ईंधन से उड़ने वाली मिसाइल है।
तीसरा चरण यानी दुश्मन की मौत
तीसरा चरण MaRV यानी मैन्युवरेबल रीएंट्री व्हीकल है। यानी कि आप तीसरे चरण को दूर से नियंत्रित कर दुश्मन के लक्ष्य पर सटीक हमला कर सकते हैं। इसे BEML-टाट्रा ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर से दागा गया है। इसे तब बनाया गया था जब चीन ने DF-12D और DF-26B मिसाइलें बनाई थीं। इसलिए भारत ने इस मिसाइल को एरिया डेनियल वेपन के तौर पर बनाया।
दुसरी अग्नि मिसाइलों के मुकाबले हल्की है Prime
अग्नि-I एक सिंगल स्टेज मिसाइल थी, जबकि अग्नि प्राइम के दो चरण हैं। अग्नि प्राइम का वजन भी इसके पिछले वर्जन से हल्का है। इसका वजन अग्नि-IV जिसकी मारक क्षमता 4 हजार किमी और अग्नि-V जिसकी मारक क्षमता पांच हजार किमी है, से हल्का है। 1989 में अग्नि-I का परीक्षण किया गया। फिर 2004 से इसे सेना में शामिल कर लिया गया। इसकी रेंज 700-900 किलोमीटर थी। अब इसकी जगह पर ये मिसाइल तैनात की जाएगी।
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