पिछले तीन महीनों में महंगाई ने आम आदमी को कितना रुलाया? देखें कितना सस्ता या महंगा हुआ किचन का सामान
                
Retail Inflation: साल के अंत तक देश में महंगाई का असर अब भी महसूस हो रहा है। खासकर किचन के सामान की कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। पिछले तीन महीनों में आटा, दाल और चावल की कीमतें बढ़ी हैं। वहीं, खाने के तेल की कीमतों में भी तेजी आई है। हालांकि, आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों में बड़ी गिरावट आई है, जिससे उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिली है।
मिनिस्ट्री ऑफ कंज्यूमर अफेयर की वेबसाइट के मुताबिक, दालों की औसत कीमतों में 7रुपये से लेकर 25रुपये प्रति किलोग्राम तक का इजाफा हुआ है। वहीं, खाने के तेल की कीमतों में 14रुपये से लेकर 23रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ोतरी हुई है। इन बदलावों से यह साफ हो रहा है कि खाद्य सामग्रियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव हो रहा है, जो घरों के बजट पर असर डाल रहा है।
तीन महीनों में आटा, दाल और चावल के दाम में इजाफा
पिछले तीन महीनों में आटा और दाल की कीमतों में वृद्धि हुई है। गेहूं की कीमत 1.28रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ी, जबकि गेहूं के आटे की कीमत 1.57रुपये बढ़ी। चावल की कीमतों में मामूली गिरावट आई है, केवल 0.36प्रतिशत। दालों की कीमतों में तुअर दाल में 7रुपये, उड़द दाल में 8.48रुपये और मूंग दाल में 24.62रुपये प्रति किलोग्राम का इजाफा हुआ है। चने और मूसर दाल की कीमतों में कोई खास बदलाव नहीं आया।
खाने के तेल की कीमतों में उछाल
पिछले तीन महीनों में खाने के तेल की कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी हुई है। सरसों के तेल की कीमत 15.29रुपये, वनस्पति के पैकेट की कीमत 17.31रुपये, सोया तेल की कीमत 14.5रुपये और सूरजमुखी तेल की कीमत 23.07रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ी है। पाम ऑयल की कीमत में भी 20.57रुपये का इजाफा हुआ है, जो कि काफी बड़ा उछाल है।
आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों में राहत
आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों में गिरावट आई है, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिली है। आलू की कीमत 2.21रुपये प्रति किलोग्राम, प्याज की कीमत 9.7रुपये प्रति किलोग्राम और टमाटर की कीमत 12.05रुपये प्रति किलोग्राम घट गई है। यह गिरावट खाने की वस्तुओं पर पड़ने वाले वित्तीय दबाव को कुछ हद तक कम करने में मदद करेगी।
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है किकिचन के सामान की कीमतों में उतार-चढ़ाव का सिलसिला जारी है। कुछ वस्तुएं महंगी हुई हैं, जबकि कुछ में गिरावट आई है, जिससे उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिली है। इन बदलावों से यह भी साफ है कि महंगाई के असर को कम करने के लिए लगातार निगरानी और सही कदम उठाए जाने की जरूरत है।
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