सिंधु जल मुद्दे पर पाकिस्तान फिर बौखलाया. भारत को दी ‘एक्ट ऑफ वॉर’ की चेतावनी
Pakistan calls Indus water move an Act of War: भारत-पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि को लेकर तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने चिनाब नदी में पानी के प्रवाह में हालिया बदलावों की कड़ी निंदा की और इसे युद्ध की कार्रवाई (Act of War) करार दिया। दिसंबर 2025में चिनाब के जल स्तर में अचानक उतार-चढ़ाव देखे जाने के बाद पाकिस्तान ने भारत पर संधि के उल्लंघन का आरोप लगाया, जबकि भारत ने अप्रैल 2025में पहलगाम आतंकी हमले के बाद संधि को निलंबित कर रखा है।
चिनाब नदी में पानी की मात्रा
दरअसल, दिसंबर 2025में चिनाब नदी में पानी की मात्रा में अचानक बदलाव दर्ज किया गया। जिस पर पाकिस्तान का कहना है कि भारत ने बिना पूर्व सूचना के जलाशयों से पानी छोड़ा या रोका, जिससे डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों में बाढ़ या सूखे का खतरा बढ़ा। पाकिस्तान के इंडस वॉटर कमिश्नर ने भारत को पत्र लिखकर स्पष्टीकरण मांगा। विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि भारत व्यवस्थित रूप से संधि को कमजोर कर रहा है। पानी को हथियार बनाना खतरनाक है और चिनाब का रुख मोड़ना युद्ध का कृत्य होगा।
पाकिस्तान अपने जल अधिकारों पर कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने इसे दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बताया। उनका दावा है कि ऐसे बदलाव फसलों के लिए महत्वपूर्ण समय में हुए, जो कृषि और आजीविका को प्रभावित कर सकते हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा सिंधु बेसिन पर निर्भर है, जहां 80%से अधिक सिंचाई इसी पानी से होती है।
सिंधु जल संधि की पृष्ठभूमि
बता दें, सिंधु जल संधि 1960में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी, जिसमें तीन पूर्वी नदियां (रावी, ब्यास, सतलज) भारत को और तीन पश्चिमी नदियां (सिंधु, झेलम, चिनाब) मुख्य रूप से पाकिस्तान को आवंटित की गईं। यह संधि कई युद्धों और तनावों के बावजूद कायम रही। लेकिन अप्रैल 2025में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26मासूम लोग मारे गए) के बाद भारत ने संधि को एकतरफा रूप से निलंबित कर दिया।
भारत का आरोप है कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देता रहा है, जिससे संधि की मूल भावना प्रभावित हुई। जिसके बाद भारत ने जल डेटा साझा करना बंद कर दिया और पश्चिमी नदियों पर अपने अधिकारों का अधिकतम उपयोग शुरू किया। पाकिस्तान ने शुरू से ही इसे 'एक्ट ऑफ वॉर' बताया और चेतावनी दी कि पानी रोकना या मोड़ना क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और अन्य नेताओं ने भी इसे युद्ध की कार्रवाई माना।
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