समलैंगिक विवाह के मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज करेगा फैसला, जानें इस मामले पर सरकार का क्या है कहना

Supreme Court: समलैंगिक विवाह का विवाद अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गए है। समलैंगिक विवाह को कानूनी तौर पर मान्यता मिलेगा या नहीं। आज इस बात कोर्ट फैसला कर देगा। इस फैसले के लिए पांच जजों की पीठ बैठेगी और इसे लेकर अपने फैसाल सुनाएगी। इस मामले पर पहले भी सुनवाई हो चुकी है जिसमें जजों की पीठ ने फैसले को सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि इस मामले में कोर्ट में 20 याचिका दायर की गई थी।
समलैंगिक विवाह पर आज होगा फैसला
समलैंगिक विवाह मामले में पांच जजों की पीठ में मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस. रवींद्र भट्ट, जस्टिस हिमा कोहली और जिस्टस पी.एस. नरसिम्हा के नाम शामिल है। इस मामले में शुरूआत में सरकार ने इसका विरोध किया था। इस मामले में सरकार का कहना था कि ये ना केवल देश की सांस्कृतिक और नैतिक परंपरा के खिलाफ है, बल्कि इसे मान्यता देने से पहले 28 कानूनों के 158 प्रावधानों में बदलाव करते हुए पर्सनल लॉ से भी छेड़छाड़ करनी होगी।
जजों की पीठ ने इस मामले पर क्या-क्या कहा
इसके अलावा जजों पीठ का कहना था कि बिना कानूनी मान्यता के सरकार इन लोगों को राहत देने के लिए क्आ कर सकती है?यानी बैंक अकाउंट, विरासत, बीमा, बच्चा गोद लेने आदि के लिए सरकार संसद में क्या कर सकती है? हालांकि इस पर सरकार का कहना था कि वो कैबिनेट सचिव की निगरानी में विशेषज्ञों की समिति बनाकर समलैंगिकों की समस्याओं पर विचार करने को तैयार है।
क्या-क्या दी गई दलीलें
- सेम-सेक्स शादी एक शहरी संभ्रांत अवधारणा है जो देश के सामाजिक लोकाचार से बहुत दूर है।
- विषम लैंगिक संघ से परे विवागृह की अवधारणा का विस्तार एक नई सामाजिक संस्था बनाने के समान है।
- समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने वाली संवैधानिक घोषणा इतनी आसान नहीं है।
- इन शादियों को मान्यता देने के लिए संविधान, IPC, CRPC, CPC और 28 अन्य कानूनों के 158 प्रावधानों में संशोधन करने होंगे।
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