हरियाणा में '20 के फेर' में फंसी बीजेपी! RSS के साथ मिलकर बनाया ये प्लान
Haryana Polls 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। पिछले दस सालों से प्रदेश की सत्ता पर कायम और जीत की हैट्रिक लगाने की तैयारियों में जुटी भारतीय जनता पार्टी जहां एक तरफ ऐंटी-इनकम्बैंसी का सामना कर रही है, तो वहीं सूबे की 20 सीटों ने बीजेपी की टेंशन को डबल कर दी है। ये वो सीटें हैं जिनपर बीजेपी को गेम पलटने की उम्मीद है। इस मुश्किल को पार करने के लिए बीजेपी ने अब RSS का साथ मांगा है। क्या बीजेपी और आरएसएस मिलकर इन 20 सीटों पर संभावित हार या नुकसान को कम कर पाएंगे। क्या है बीजेपी का मास्टर प्लान जो उसकी इस मुश्किल को दूर करने में कारगार साबित होगा? क्या कांग्रेस या दूसरी पार्टियां बीजेपी के इस प्लान को कामयाब होने से रोक पाएंगी? ऐसे कई सवाल हैं जिनका सवाल आगे इस वीडियो में खोजने की कोशिश करेंगे।
सबसे पहले आपको बताते हैं कि आखिर चुनाव से ठीक पहले अचानक से बीजेपी मुश्किल में क्यों घिरती दिख रही है। बीजेपी सूत्रों की माने तो इसकी वजह वो इंटरनल सर्वे रिपोर्ट है जिसने हरियाणा बीजेपी से लेकर दिल्ली में बैठ उसके शीर्ष नेताओं की नींद उड़ा दी है। दरअसल, बीजेपी ने चुनाव से ठीक पहले हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर उसकी जीत का आंकलन करने के लिए एक इंटरनल सर्वे कराया था। इस रिपोर्ट में सामने आया कि प्रदेश की 20 ऐसी सीटें हैं जिनमें बीजेपी अपनी जीत का दावा करने की स्थिति में नहीं है। इसका मतलब साफ है कि इन 20 सीटों पर बीजेपी को संभावित हार का डर सता रहा है। इन सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय है या फिर बहुकोणीय है। कई सीटें तो ऐसी हैं जिनपर निर्दलीय उम्मीदवार भी बीजेपी उम्मीदवार के मुकाबले मजबूत स्थिति दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, ये कौन-कौन सी सीटें हैं इसके बारे में पता नहीं चल पाया है।
RSS के साथ मिलकर बीजेपी ने बनाई ये रणनीति
बीजेपी हमेशा से ही अपनी सटीक रणनीति के दम पर चुनाव में जीत हासिल करने के लिए जानी जाती है। सर्वे रिपोर्ट के सामने आते ही बीजेपी के चुनावी रणनीतिकार एक बार फिर से नई रणनीति बनाने में जुट गए। इसके लिए आरएसएस के साथ समन्वय बनाकर काम करने की रणनीति बनाई गई है। इस रणनीति के तहत बीजेपी आरएसएस की मदद से इन सीटों पर अपने काडर को मजबूती से एक्टिव करने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा वोटिंग वाले दिन यानी 5 अक्टूबर तक गली-गली और गांव-गांव तक जाने का प्लान है। बीजेपी'मेरा बूथ सबसे मजबूत' सलोग्न के साथ इस रणनीति के तहत आगे बढ़ेगी। दरअसल, अभी तक बीजेपी नेताओं को ये लगता था कि संघ के कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव के बाद से निष्क्रिय थे और अब अगर उनकी मदद मिल जाए तो स्थिति को बदला जा सकता है।
दरअसल, लोकसभा चुनाव के बाद से ही आरएसएस और बीजेपी के बीच समन्वय बैठाने को लेकर मनमुटाव की खबरें सामने आती रही हैं। जिसके बाद दोनों के बीच बैठकों का दौर चला। अंत में बीजेपी ने ये फैसला किया कि चुनाव में आरएसएस को साथ लेकर ही आगे बढ़ा जाएगा। हरियाणा विधानसभा चुनाव पर बीजेपी ने कई ऐसे लोगों टिकट दिया है जिनका बैकग्राउंड आरएसएस का रहा है। दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि आएसएस के कहने पर ही बीजेपी ने इस बार हरियाणा विधानसभा चुनाव में 40 नए चेहरों को टिकट देकर चुनावी रण में उतारा है। इनमें से कई कैंडिडेट ऐसे हैं जिनका पूरा प्रचार ही आरएसएस से जुड़े लोगों ने संभाल रखा है।
अब ये देखना होगा की बीजेपी और आरएसएस की ये रणनीति उसे चुनाव में कितना फायदा पहुंचाती है। क्या बीजेपी इस बार हरियाणा में चुनाव जीतकर इतिहास रचने में कामयाब हो पाएगी। या, कांग्रेस बीजेपी की जीत की हैट्रिक रोकने में सफल होगी। खैर इसका पता तो 8 अक्टबूर को ही चलेगा। जब चुनाव का रिजल्ट घोषित होगा। इस बार हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर 5 अक्टूबर को वोटिंग होगी।
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