PM मोदी के चीन दौरे से पहले चीनी विदेश मंत्री की भारत यात्रा, सीमा विवाद पर होगी अहम बातचीत
India-China Relation: चीन के विदेश मंत्री वांग यी सोमवार 18अगस्त से दो दिवसीय भारत यात्रा पर रहेंगे। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत-चीन सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधि (एसआर) तंत्र के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के साथ 24वें दौर की वार्ता करना है। इसके अलावा वांग यी विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ भी द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। यह दौरा दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों को सामान्य करने और सीमा पर स्थायी शांति स्थापित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
वांग यी की यात्रा का महत्व
बता दें, वांग यी की यह यात्रा कई कारणों से महत्वपूर्ण है। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव की खबरें तूल पकड़ रही हैं। जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयात पर शुल्क बढ़ाने की घोषणा के बाद से। ऐसे में भारत और चीन के बीच कूटनीतिक संवाद क्षेत्रीय स्थिरता के लिए जरूरी हो सकता है।
इसके अलावा यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 31अगस्त और 01सितंबर, 2025को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए प्रस्तावित चीन यात्रा से पहले हो रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि वांग यी का दौरा इस शिखर सम्मेलन के लिए आधार तैयार करने में भी मदद करेगा।
द्विपक्षीय संबंधों पर भी चर्चा की उम्मीद
वांग यी की विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ होने वाली बैठक में द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होने की उम्मीद है। इसमें आर्थिक सहयोग, व्यापार असंतुलन, और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दे शामिल हो सकते हैं। भारत और चीन के बीच व्यापार 100अरब डॉलर से अधिक का है, लेकिन व्यापार घाटा भारत के खिलाफ है। भारत ने सुरक्षा चिंताओं के कारण चीनी निवेश पर कुछ प्रतिबंध लगाए हैं, जिस पर भी चर्चा संभव है।
क्या है भारत-चीन का सीमा विवाद?
दरअसल, भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लंबे समय से एक जटिल मुद्दा रहा है। साल 1962के युद्ध, डोकलाम गतिरोध (2017) और 2020में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प ने दोनों देशों के बीच अविश्वास को और गहरा किया। गलवान संघर्ष के बाद दोनों देशों के संबंध अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच गए थे। साथ ही, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य तैनाती में भारी वृद्धि देखी गई।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई दौर की वार्ताओं के बाद दोनों देशों ने तनाव कम करने की दिशा में कदम उठाए हैं। अक्टूबर 2024 में लद्दाख के डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पर सहमति एक सकारात्मक कदम थी।
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