अमित शाह और नीतीश कुमार की वो मुलाकात जिसने बदल दी बिहार की सियासी तस्वीर
Bihar Political Crisis: ‘धुआँ जो कुछ घरों से उठ रहा है.. न पूरे शहर पर छाए तो कहना’, जावेद अख्तर की ये पंक्तियां इस वक्त बिहार में आए सियासी घमासन पर सटीक बैठ रही हैं। नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होने से ना सिर्फ बिहार की राजनीति में नई पटकथा लिखी गई बल्कि ‘सुसाशन बाबू’के इस कदम ने इंडिया गठबंधन पर भी संकट के बादलों को घना कर दिया है। एक बार फिर बिहार के सीएम नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता दल का दामन छोड़कर बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में शामिल हो रहे हैं। नीतीश कुमार बिहार की सियासत में धुरी बनाए हुए हैं और उन्हीं के इर्द-गिर्द पिछले 20 सालों से बिहार की राजनीति घूम रही है।
हर बार मोहरे बदलते हैं लेकिन वजीर एक ही रहता है वो है नीतीश कुमार। इस बार किसी को भी जरा भी इल्म नहीं था कि नीतीश कुमार फिर से पलटी मारते हुए एनडीए में शामिल होंगे क्योंकि 2022 में जब नीतीश कुमार NDA से अलग हुए थे तो नीतीश कुमार ने कहा था कि 'मर जाना पसंद करूंगा लेकिन एनडीए में वापस नहीं जाऊंगा।'दूसरी तरफ उस दौरान अमित शाह ने भी कहा था कि नीतीश कुमार के लिए अब हमेशा के लिए गेट बंद हो चुके हैं। ऐसे में सबके मन में सिर्फ एक ही सवाल था कि आखिर ऐसा क्या हो गया जो दोनों ही तरफ से सबकुछ भुला दिया गया और फिर से एक नयी शुरुआत के साथ दोनो एक होने वाले हैं। दरअसल, इस पूरे सियासी खेल की शुरुआत 50 दिन पहले हुई थी। तारीख थी 10 दिसंबर 2023 जब अमित शाह और नीतीश कुमार की मुलाकात एक कार्यक्रम के दौरान हुई थी। दोनों की मुलाकात 2022 में गठबंधन टूटने के बाद पहली मुलाकात थी।
लिखी गई बिहार के सियासत की नई कहानी
इसी मुलाकात में लिखी गई बिहार में सियासत की नई कहानी। पॉलीटिकल एक्सपर्ट कहते हैं इस मीटिंग के बाद से ही बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम बदलने लगा। अमित शाह से मुलाकात के 19 दिन बाद 29 दिसंबर 2023 को नीतीश कुमार ने जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई। जिसमें ललन सिंह को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाते हुए खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान संभाली। उनके अध्यक्ष बनते ही सियासी गलियारे में बीजेपी के साथ जाने की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। अब इसे संयोग कह लीजिए या फिर सियासी प्रयोग ललन सिंह के हटने के 16 दिन बाद नीतीश कुमार पर गृह मंत्री अमित शाह का रूख बदल जाता है।
‘जो और तो से राजनीति में बात नहीं होती’
गृह मंत्री इस इस थ्योरी को नकार देते हैं कि अब नीतीश कुमार के लिए NDA में कोई जगह नही है। एक इंटरव्यू के दौरान अमित शाह नीतीश कुमार की वापसी को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहते हैं कि, जो और तो से राजनीति में बात नहीं होती। किसी का प्रस्ताव होगा तो विचार किया जाएगा। अब बीजेपी और नीतीश के बीच डील पक्की हो चुकी है। नीतीश एक बार फिर से बीजेपी के सपोर्ट से बिहार में सरकार बना रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगी की एक बार फिर बिहार की सत्ता में ये गठबंधन क्या नई कहानी लिखता है।
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