कैंसर को राष्ट्रीय बीमारी बनाने की मांग पर SC सख्त, केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने 12दिसंबर को एक जनहित याचिका (PIL) पर केंद्र सरकार समेत सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है। दरअसल, यह याचिका कैंसर को पूरे देश में 'नोटिफायबल बीमारी' (अनिवार्य रिपोर्टिंग वाली बीमारी) घोषित करने की मांग करती है, ताकि हर कैंसर केस की अनिवार्य रिपोर्टिंग हो सके और बेहतर निगरानी, समय पर पता लगाना तथा प्रभावी नीति बनाई जा सके।
क्या है पूरा मामला?
बता दें, याचिका एम्स के पूर्व सर्जिकल डिसिप्लिन विभाग प्रमुख और प्रसिद्ध डॉक्टर अनुराग श्रीवास्तव ने दायर की है। उनके वकील गौरव कुमार बंसल ने अदालत में तर्क दिया कि स्वास्थ्य मंत्रालय और कई राज्य सरकारें कैंसर को नोटिफायबल बीमारी घोषित करने में विफल रही हैं। वर्तमान में, 36राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल 17ने ही अपने सार्वजनिक स्वास्थ्य कानूनों के तहत कैंसर को नोटिफायबल बनाया है। इससे देश में एक असमान व्यवस्था बनी हुई है, जहां अधिकांश आबादी अनिवार्य रिपोर्टिंग के दायरे से बाहर है। तो वहीं, राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (NCRP) केवल देश की लगभग 10%आबादी को कवर कर पाता है, जिससे डेटा में गंभीर कमी है।
याचिका के अनुसार, इससे कैंसर के वास्तविक बोझ का सही अनुमान नहीं लग पाता, नीतियां कमजोर पड़ती हैं और संसाधनों का गलत आवंटन होता है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को कैंसर को नोटिफायबल बीमारी घोषित करने का आदेश। इसके अलावा कोविड-19के दौरान इस्तेमाल हुए CoWIN प्लेटफॉर्म जैसी एक एकीकृत, रीयल-टाइम डिजिटल कैंसर रजिस्ट्री स्थापित करना। साथ ही, भ्रामक वैकल्पिक उपचारों (जैसे गोमूत्र को कैंसर इलाज) पर नियंत्रण, क्योंकि ये मरीजों को समय पर इलाज से वंचित करते हैं।
कोर्ट ने क्या कहा?
चीफ जस्टिस सूर्या कांत की अध्यक्षता वाली बेंच (जिसमें जस्टिस जोयमाल्या बागची और जस्टिस विपुल एम. पंचोली शामिल हैं) ने याचिका पर गौर किया और सभी पक्षकारों से जवाब मांगा। अदालत ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया, क्योंकि स्वास्थ्य राज्य का विषय होने के बावजूद केंद्र और राज्यों दोनों के पास बीमारियों को नोटिफायबल घोषित करने की समवर्ती शक्ति है। क्योंकि भारत में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अनिवार्य रिपोर्टिंग से कैंसर का समय पर पता चलेगा। भ्रामक जानकारी के कारण होने वाली देरी और मौतों पर अंकुश लगेगा।
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