पुरानी पेंशन की मांग को लेकर जुटी भीड़ का हिस्सा बने कांग्रेस-AAP नेता, जानें क्या है इसके मायने?
Old Pension Scheme: लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही पुरानी पेंशन की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। रविवार को राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में 20 से ज्यादा राज्यों और केंद्र के सरकारी कर्मचारियों की भीड़ जुटी। सरकारी कर्मचारियों की मांग है कि NPS को खत्म कर ओपीएस यानी पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाए। हिमाचल विधानसभा चुनाव के दौरान भी ओपीएस की मांग जोर-शोर से उठी थी और इसका असर चुनाव पर भी दिखा था। ऐसे में माना जा रहा है कि विपक्ष सरकारी कर्मचारियों को साथ लेकर 2024 चुनाव के लिए बड़ा एजेंडा चला रहा है।
मंच पर कांग्रेस और आप नेता
पुरानी पेंशन की मांग को लेकर रैली के मंच पर विपक्षी दलों के नेता भी दिखे। रैली में हरियाणा के पूर्व CMभूपेन्द्र सिंह हुड्डा और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी शामिल हुए। हुड्डा ने सिर्फ 20 सेकेंड संबोधित किया और कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो उनका वादा है कि पुरानी पेंशन योजना लागू की जाएगी। उनके बाद आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि वह जल्द से जल्द पंजाब में पुरानी पेंशन योजना लागू करेंगे।
आपको बता दें कि पुरानी पेंशन योजना की वकालत करने वाले ज्यादातर नेता विपक्षी गठबंधन का हिस्सा हैं। इस रैली में हुड्डा के अलावा कांग्रेस के संदीप दीक्षित, अरविंदर सिंह लवली और डॉ। उदित राज शामिल हुए। उदित राज ने यह भी कहा कि पुरानी पेंशन बहाली एक बड़ा मुद्दा है।
‘जो देश आर्थिक महाशक्ति बनकर उभर रहा है, वह कर्मचारियों को पेंशन नहीं दे सकता’
NMOPS यानी नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने मंच से कहा कि अगर सरकार पुरानी पेंशन स्कीम लागू नहीं करती है तो कर्मचारी वोट करेंगे। उन्होंने कहा कि जो देश दुनिया में आर्थिक महाशक्ति बनकर उभर रहा है, वह अपने कर्मचारियों को पेंशन नहीं दे सकता। उन्होंने विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों का नाम लेते हुए कहा कि अगर इसे राज्यों में लागू किया जा सकता है तो देश में भी लागू किया जा सकता है।
इस 'पेंशन शंखनाद महारैली' से बीजेपी और NDAके अन्य घटक दलों ने दूरी बनाए रखी। इस रैली के बारे में केंद्र सरकार के किसी भी मंत्री की ओर से कुछ नहीं कहा गया। वहीं हरियाणा के CM खट्टर ने इस रैली का विरोध किया। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी पहले ही कह चुके हैं कि राजनीतिक मतभेद अलग हैं लेकिन देश की अर्थव्यवस्था के साथ किसी भी कीमत पर खिलवाड़ नहीं किया जा सकता।
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