विधानसभा में केरल का नाम बदलकर ‘केरलम’ करने का प्रस्ताव पारित, जानें इससे जुड़ा ऐतिहासिक कारण?

Kerala Assembly Resolution: करीब एक साल पहले केरल विधानसभा ने सर्वसम्मति से राज्य का नाम बदलकर केरलम करने का प्रस्ताव पारित किया था। वहीं अब प्रस्ताव में मामूली संशोधनों के साथ सोमवार (24 जून) को दोबारा पारित किया गया है।
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में मांग की गई कि संविधान की पहली अनुसूची में राज्य का नाम आधिकारिक तौर पर 'केरलम' में बदलने के लिए संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत आवश्यक कदम उठाए जाएं। आईयूएमएल विधायक एन शम्सुद्दीन ने प्रस्ताव में संशोधन पेश करते हुए अधिक स्पष्टता लाने के लिए शब्दों को पुनर्गठित करने का सुझाव दिया। हालाँकि, सदन ने संशोधन को खारिज कर दिया।
ये प्रस्ताव 9 अगस्त को सर्वसम्मति से किया गया था पारित
पिछले साल 9 अगस्त को आधिकारिक तौर पर राज्य का नाम बदलने की मांग वाला एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया था। प्रस्ताव में केंद्र से संविधान की पहली अनुसूची में राज्य का नाम बदलकर 'केरलम' करने को कहा गया। इसी तरह प्रस्ताव में केंद्र से आठवीं अनुसूची के तहत सभी भाषाओं में नाम बदलकर 'केरलम' करने को कहा गया।तब मुख्यमंत्री ने कहा था कि विस्तृत जांच के बाद यह पाया गया कि संविधान की पहली अनुसूची में ही इस तरह के संशोधन का प्रावधान होना चाहिए। इसलिए नया प्रस्ताव लाया जा रहा है।
केरल का नाम बदलकर केरलम करने का प्रस्ताव क्यों?
अपने प्रस्ताव में सीएम पिनाराई विजयन ने कहा कि मलयालम में 'केरलम' नाम का इस्तेमाल आम है। हालाँकि, आधिकारिक रिकॉर्ड में राज्य को 'केरल' कहा जा रहा है। इसी पृष्ठभूमि में यह प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया।
इतिहासकारों का कहना है कि उपनाम केरलम का संदर्भ तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक के शिलालेखों में पाया जाता है। इसके अलावा, वाल्मिकी रामायण में भी केरलम का उल्लेख मिलता है।
केरलम का क्या अर्थ है?
केरल और केरलम एक जैसे शब्द नहीं हैं। उदाहरण के लिए, आप कह सकते हैं कि ‘भारतीय कला’ और ‘भारतीय भोजन’ , लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि ‘इंडिया आर्ट फॉर्म’ और ‘इंडिया डिश’। केरल शब्द स्वतंत्र मॉनीकर के रूप में खड़ा नहीं हो सकता।
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