इंसानी लापरवाही या प्राकृतिक आपदा...यमुना की बाढ़ का जिम्मेदार कौन? कैसे रुकेगी डूबती दिल्ली की तबाही

Yamuna Flood: देश की राजधानी दिल्ली हर साल मॉनसून के दौरान यमुना नदी की बाढ़ से जूझती है। सड़कों पर नावें, जलमग्न कॉलोनियां और बेघर हुए हजारों लोग यह दृश्य अब दिल्लीवासियों के लिए नया नहीं रहा। सितंबर 2025में भी यमुना का जलस्तर खतरे के निशान (205.33मीटर) से ऊपर 207.47मीटर तक पहुंच गया, जिसने एक बार फिर बाढ़ प्रबंधन की खामियों को उजागर किया। जिस वजह से मयूर विहार, यमुना बाजार, मजनू का टीला जैसे इलाके डूब गए और गाड़ियों की लाइन लग गई।
2023 में बाढ़ की स्थिति
यह स्थिति 2023की बाढ़ की याद दिला रही है, जब यमुना का जलस्तर 208.66मीटर तक पहुंच गया था और हजारों लोग विस्थापित हुए थे। उस समय भी गीता कॉलोनी और निगमबोध घाट बंद करने पड़े थे और राजधानी में जल संकट के साथ-साथ यातायात और बिजली आपूर्ति भी प्रभावित हुई थी। वर्तमान में जलस्तर 207.48मीटर होने के बावजूद, विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बारिश का सिलसिला जारी रहा, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
यमुना बाढ़ का कारण
हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में भारी बारिश के कारण हथिनीकुंड और वजीराबाद बैराज से भारी मात्रा में पानी छोड़ा जाता है, जो 48-50घंटों में दिल्ली पहुंचता है। सितंबर 2025में हथिनीकुंड से 3.29लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से जलस्तर बढ़ा। इसके अलावा अनियमित और भारी बारिश की घटनाएं जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ रही हैं, जिससे बाढ़ का खतरा और गंभीर हो गया है।
यमुना के किनारे अनधिकृत कॉलोनियां और निर्माण ने नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित किया है। इतिहासकारों के अनुसार, पहले यमुना लाल किले के पास बहती थी, लेकिन अतिक्रमण ने नदी का रास्ता बदल दिया। तो वहीं, दिल्ली के नाले और ड्रेनेज सिस्टम की अपर्याप्त सफाई और रखरखाव के कारण जलभराव की स्थिति बनी रहती है। इसके अलावा बाढ़ प्रबंधन में समन्वय की कमी, समय पर चेतावनी और निकासी में देरी, और दीर्घकालिक योजना का अभाव भी बाढ़ के प्रभाव को बढ़ाता है।
यमुना बाढ़ के लिए जिम्मेदार कौन?
बाढ़ की जिम्मेदारी एक अकेली संस्था या सरकार की नहीं है। यह एक सामूहिक विफलता है।
हरियाणा सरकार: हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़ने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और समन्वय की कमी।
दिल्ली सरकार और स्थानीय निकाय: नालों की सफाई, ड्रेनेज मास्टर प्लान का अभाव, और अतिक्रमण को रोकने में नाकामी।
केंद्र सरकार: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के दिशानिर्देशों के बावजूद दीर्घकालिक बाढ़ नियंत्रण उपायों में कमी।
नागरिक और बिल्डर: यमुना के बाढ़ मैदानों पर अवैध निर्माण और पर्यावरण नियमों का उल्लंघन।
यमुना बाढ़ रोकने के उपाय
1. ड्रेनेज मास्टर प्लान: दिल्ली सरकार को NDMA के निर्देशों के अनुसार एक व्यापक ड्रेनेज मास्टर प्लान लागू करना चाहिए, जिसमें यमुना की बाढ़ को नियंत्रित करने के उपाय शामिल हों।
2. अतिक्रमण हटाना: यमुना के बाढ़ मैदानों से अवैध निर्माण को हटाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।
3. नदी की सफाई और डी-सिल्टिंग: यमुना और नालों की नियमित डी-सिल्टिंग सुनिश्चित की जाए, जैसा कि दिल्ली सरकार ने हाल में शुरू किया है।
4. बैरज प्रबंधन: हथिनीकुंड और वजीराबाद बैराज से पानी छोड़ने की प्रक्रिया में दिल्ली और हरियाणा सरकारों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित हो।
5. राहत और बचाव: बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित निकासी, राहत शिविर, और भोजन-दवा की व्यवस्था।
6. चेतावनी प्रणाली: जलस्तर की निगरानी और समय पर अलर्ट जारी करने के लिए बाढ़ नियंत्रण केंद्र और वायरलेस स्टेशन को और सशक्त करें।
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