Ram Mandir: भगवान राम का वो मंदिर, जहां रघुनाथ के लिए 200 मी. तक शोर नहीं करती मां गंगा
Ram Mandir: 22 जनवरी को अयोध्या में होने जा रही प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरो पर है। भगवान राम के स्वागत के लिए हर कोई तैयार खड़ा है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में कुछ खास लोगों को न्यौता दिया गया है। 7 दिनों तक चलने वाले समारोह में पीएम मोदी भी शामिल होंगे। क्योंकि, अयोध्या में 500 सालों का इंतजार खत्म होने जा रहा है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी गुफा के बारे में बताने जा रहे है। जहां भगवान राम ने तपस्या की थी। साथ ही यहां मां गंगा का एक ऐसी अनोखी चीजे देखने को मिली है। जो कहीं नहीं देखी जा सकती है।
ऋषिकेश की गुफा में रघुनाथ ने की थी तपस्या
दरअसल ऋषिकेश में हर कोई घुमने के लिए जाता है। लेकिन यहां एक ऐसा मंदिर है जहां पर भगवान राम ने तपस्या की थी। साथ ही जब से जहां पर एक मंदिर बनाया गया है। जिसका, दर्शन करने के लिए अनेक श्रद्धालु आते है। स्कंदपुराण के अनुसार, रावण वध करने के बाद भगवान राम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा था। ब्रह्म हत्या का पाप उतारने के लिए वह तीर्थनगरी में तपस्या के लिए आए थे। ऋषिकेश से आठ किमी दूर ब्रह्मपुरी है। यहां राम तपस्थली आश्रम है। आश्रम के तलहटी और गंगा के किनारे एक गुफा है, जिसमें भगवान राम तपस्या में लीन हुए थे। लेकिन, यहां राम तपस्थली आश्रम के अध्यक्ष ने बताया कि गंगा की तलहटी होने के कारण गंगा नदी का शोर उनकी तपस्या में बाधा उत्पन्न कर रही थी।
200 मीटर तक गंगा के बहने की नहीं आती आवाज
भगवान तपस्या में लीन ना होने के वजह से वहां से उठकर आगे की ओर जाने लगे। तभी वहां मां गंगा प्रकट हुई और भगवान राम से बोलीं, हे प्रभु आप मेरे किनारे को छोड़कर कहां जा रहे है। तभी भगवान राम ने कहा, हे गंगे मां तुम्हारा शोर मेरी तपस्या में बाधा उत्पन्न कर रहा है। वहीं तब गंगा मां ने भगवान को वचन दिया कि आपकी तपस्या में कोई रुकावट नहीं होगी। इसके लिए गंगा यहां से कई मीटर दूर तक बिना शोर करते हुए बहने लगी।
उसके बाद भगवान राम गुफा के अंदर साधना में लीन हो गए। तब से लेकर अब तक यहां करीब 200 मीटर तक गंगा नदी बिना शोरगुल के प्रवाहित हो रही है। त्रिवेणीघाट स्थित रघुनाथ मंदिर में भी भगवान राम ने तपस्या की थी। पौराणिक मान्यता के अनुसार, रावण वध के बाद भगवान राम ने ब्रह्म हत्या का पाप उतारने के लिए त्रिवेणीघाट में यमुनाकुंड के समीप कई वर्षों तक भगवान राम ने तपस्या की थी। इसके बाद बगवान राम ब्रह्मपुरी की और रवाना हो गए थे। सबी से य़ह मंदिर रघुनाथ मंदिर के नाम से विख्यात हो गया।
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