विश्व मौसम संगठन ने दी चेतावनी, धुंध से ढक जाएगा पूरा उत्तर भारत

Wmo Report India: विश्व मौसम संगठन ने चेतावनी दी है कि सिंधु-गंगा के मैदान यानी की उत्तर भारत में धुंध के मामले लगातार गंभीर और बार-बार सामने आ रहे हैं। यहां करीब 90 करोड़ लोग रहते हैं और अब प्रदूषण और मौसम के बदलावों की वजह से सर्दियों में धुंध का असर और खतरनाक होने की संभावना है। संगठन ने कहा है कि ये समस्या मानवीय गतिविधियों और पर्यावरणीय बदलाव से जुड़ी है।
मौसम संगठन ने कारण
मौसम संगठन ने बताया कि धुंध तब बनती है जब जमीन के पास की हवा ठंडी होकर नमी से मिलती है और छोटे-छोटे कणों पर जमकर पानी की बूंदें बनाती है। वाहनों का धुआं, उद्योगों से निकलने वाली गैसें, फसल अवशेष जलाना और बायोमास जलाने जैसी गतिविधियां इन कणों को बढ़ाती हैं। यही कारण है कि धुंध ज्यादा घनी और लंबे समय तक बनी रहती है।
क्यों होता है धुंध का असर ज्यादा
सर्दियों में तापमान उलटाव यानि टेम्परेचर इन वर्जन होता है, जिसमें ठंडी हवा गर्म हवा की परत के नीचे फंस जाती है। इस कारण प्रदूषण और धुंध नीचे ही अटक जाती है। शहरी इलाकों के तेजी से फैलने और अर्बन हीट आइलैंड बनने से स्थानीय मौसम भी बदल रहा है, जिससे धुंध का असर और अधिक होता है।
डब्ल्यूएमओ की में आया सामने रिपोर्ट
डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट में कहा गया कि पंजाब और हरियाणा में फसल अवशेष जलाना यानि पराली जलाना भी धुंध का बड़ा कारण है। इसके अलावा ईंट भट्ठों में घटिया कोयले और पुराने तरीकों का इस्तेमाल प्रदूषण को बढ़ाता है। उपग्रह आंकड़े दिखाते हैं कि इन महीनों में एरोसोल की मात्रा तेजी से बढ़ती है, जिससे पूरे ईजीपी क्षेत्र में धुंध बढ़ जाती है।
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