बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ीं, इस मामले में अदालत ने उठाया बड़ा कदम
Sheikh Hasina's Problems Increased:बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें बढ़ गई है। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने 3 अगस्त को शेख हसीना के खिलाफ मानवता के विरुद्ध अपराधों के आरोपों में ग़ैर-मौजूदगी में मुकदमे की सुनवाई शुरू कर दिया है। यह मामला 2024 में छात्रों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन के दौरान का है।
अंतरिम सरकार द्वारा नियुक्त मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने अपने प्रारंभिक वक्तव्य में शेख हसीना को सभी अपराधों के लिए जिम्मेदार बताया और उनके लिए कड़ी सजा की मांग की। अभियोजन पक्ष ने इस मामले में हसीना सरकार के दौरान गृह मंत्री रहे असदुज़्ज़मान खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल मामून को भी सह-अभियुक्त बनाया है।
क्या-क्या है आरोप
आईसीटी ने हसीना पर कई आरोपों के तहत मुकदमा पर सुनवाई शुरू की है। जिनमें सबसे गंभीर आरोप पिछले साल 'स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (SAD)' द्वारा चलाए गए हिंसक आंदोलनों को दबाने के लिए की गई हत्याएं और यातनाएं हैं। इस आंदोलन के कारण 5 अगस्त, 2024 को हसीना की अवामी लीग सरकार को सत्ता छोड़ना पड़ा था। जहां हसीना और कमाल की गैर-मौजूदगी में मामले की सुनवाई हो रही है। वहीं मामून हिरासत में हैं और उन्होंने गवाह बनने के लिए हामी भर दी है। अभियोजन पक्ष ने बताया कि वह आने वाले दिनों में उन व्यक्तियों की गवाही प्रस्तुत करेगा जो विरोध प्रदर्शन के दौरान घायल हो गए थे या हिंसा के प्रत्यक्षदर्शी थे।
आईसीटी सुना चुका है
आईसीटी ने इससे पहले पिछले महीने शेख हसीना को उनकी गैर मौजूदगी में अदालत की अवमानना मामले में छह महीने जेल की सजा दी गई थी। यह पहली बार था जब शेख हसीना को किसी मामले में दोषी करार दिया गया, क्योंकि उन्होंने अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री पद छोड़ा था। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक 15 जुलाई से 15 अगस्त 2024 के बीच करीब 1,400 लोगों की जान चली गई थी, जब हसीना सरकार ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का आदेश दिया था।
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