सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, गड्ढे से भरे और ट्रैफिक जाम लगे हाईवे पर नहीं होगी वसूली
Supreme Court No Toll Order: सुप्रीम कोर्ट ने ट्रैफिक जाम को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि यात्रियों को उन हाईवे पर टोल का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता जो अधूरे हैं, गड्ढों से भरे हैं या जाम के कारण चलने लायक नहीं हैं। कोर्ट ने त्रिशूर जिले के पलियेक्कारा प्लाजा पर टोल वसूली पर रोक लगाने के केरल हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण आर गवई की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और रियायतग्राही द्वारा दायर अपीलों को खारिज कर दिया। साथ ही निलंबित टोल संग्रह से होने वाले वित्तीय नुकसान की तुलना में नागरिकों की सुविधा को प्राथमिकता दी।
कोर्ट ने कही ये बात
केरल हाई कोर्ट के 6 अगस्त के आदेश का सपोर्ट करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि नागरिकों को उन सड़कों पर चलने की आजादी होनी चाहिए जिनके इस्तेमाल के लिए उन्होंने पहले ही टैक्स चुका दिए हैं और उन्हें नालियों और गड्ढों से गुजरने के लिए और टैक्स का भुगतान नहीं करना होगा जहां उन्हें आने-जाने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा हो।
कोर्ट ने दिया ये तर्क
एनएचएआई की टोल में आनुपातिक कमी की दलील को खारिज करते हुए, अदालत ने कहा कि अगर 65 किलोमीटर के हिस्से में ब्लैक स्पॉट्स पर केवल 5 किलोमीटर का हिस्सा भी प्रभावित होता है, तो व्यापक प्रभाव पूरे हिस्से को पार करने में लगने वाले घंटों को बढ़ा देता है। पीठ ने कहा कि एडापल्ली-मन्नुथी खंड पिछले सप्ताहांत 12 घंटे तक ठप रहा। अदालत ने कहा कि अगर एक ही सड़क को पार करने में 12 घंटे लगते हैं, तो कोई व्यक्ति 150 रुपये क्यों दे? रियायतग्राही की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान और एनएचएआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि सड़क नेटवर्क को बनाए रखने के लिए टोल राजस्व महत्वपूर्ण है और टोल को निलंबित करने से लगभग 49 लाख का दैनिक राजस्व प्रभावित होगा।
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