पूर्व CM शिबू सोरेन के सम्मान में राज्यसभा की कार्यवाही आज के लिए स्थगित, उपसभापति बोले- वे वरिष्ठ और विशिष्ट आदिवासी नेता...
Rajya Sabha Adjourned To Pay Respect to MP Shibu Soren: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का 4 अगस्त 2025 को 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। जिसके बाद राज्यसभा में कार्यवाही शुरू होते ही शोक व्यक्त किया गया। उपसभापति हरिवंश ने सदन को मौजूदा सदस्य शिबू सोरेन के निधन की जानकारी दी। जिसके बाद उन्होंने शिबू सोरेन को वरिष्ठ और विशिष्ट आदिवासी नेता बताते हुए उनके सम्मान में सदन की कार्यवाही को आज यानी 5अगस्त को दिन भर के लिए स्थगित करने का ऐलान किया।
शिबू सोरेन को राज्यसभा में श्रद्धांजलि
राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही उपसभापति हरिवंश ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और वरिष्ठ नेता शिबू सोरेन के निधन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 11जनवरी 1944को हजारीबाग के गोला गांव में जन्मे शिबू सोरेन ने गोला हाईस्कूल से मैट्रिक की शिक्षा पूरी की और पेशे से किसान थे। उपसभापति ने कहा कि दिशोम गुरु और गुरुजी के नाम से मशहूर शिबू सोरेन झारखंड के सामाजिक-राजनीतिक क्षेत्र में एक प्रभावशाली और सम्मानित आदिवासी नेता थे। उन्होंने आदिवासी समुदाय के अधिकारों और उत्थान के लिए आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और एक जमीनी कार्यकर्ता के रूप में हमेशा जनता के बीच लोकप्रिय रहे। साथ ही हरिवंश ने कहा कि झारखंड राज्य की स्थापना के आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही और वे इस नवगठित राज्य के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक बने। शिबू सोरेन ने आजीवन वंचितों के अधिकारों और कल्याण के लिए समर्पित भाव से काम किया।
संसदीय जीवन और उपलब्धियां
उपसभापति हरिवंश ने राज्यसभा में झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन के निधन पर शोक जताते हुए उनके योगदान को याद किया। उन्होंने बताया कि शिबू सोरेन ने आठ बार लोकसभा सांसद के रूप में झारखंड की जनता का समर्पण और ईमानदारी से प्रतिनिधित्व किया। वे 2005से 2010तक तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे और 2004से 2006तक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया। इसके अलावा, वे तीन बार राज्यसभा सांसद चुने गए, जिसमें उनका वर्तमान कार्यकाल भी शामिल था।
सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष
उपसभापति ने कहा कि अपने लंबे संसदीय करियर में शिबू सोरेन ने सामाजिक न्याय, आदिवासी कल्याण और ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सक्रिय योगदान दिया। वे आदिवासी अधिकारों के प्रबल समर्थक और सम्मानित जननेता थे। उनके निधन से देश ने एक अनुभवी सांसद और समाजसेवी खो दिया। उनकी स्मृति में राज्यसभा में दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई, और उपसभापति ने उनके सम्मान में सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित करने की घोषणा की।
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