सुप्रीम कोर्ट में आज वक्फ संशोधन अधिनियम पर होगी जोरदार बहस, अंतरिम आदेश की उम्मीद
Waqf Amendment Act 2025: सुप्रीम कोर्ट में आज वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होगी। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ पूरे दिन सुनवाई करेगी। ऐसे में अंतरिम आदेश जारी करने की संभावना जताई जा रही है। बता दें, वक्फ संशोधन का यह मामला धार्मिक स्वायत्तता, संपत्ति अधिकार और संवैधानिक सिद्धांतों से जुड़ा हुआ है, जो देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
आज की सुनवाई: में अंतरिम आदेश जारी?
ऐसा कहा जा रहा है कि आज की सुनवाई में कोर्ट अंतरिम आदेश की आवश्यकता और इसके दायरे पर विचार करेगा। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल समन्वय कर रहे हैं, जिन्होंने संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का हवाला देते हुए तर्क दिया है कि यह कानून धार्मिक स्वायत्तता में हस्तक्षेप करता है। दूसरी ओर, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र की ओर से दलील दी है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए आवश्यक है।
केंद्र ने अपने हलफनामे में दावा किया है कि 2013 के बाद वक्फ संपत्तियों में अचानक से वृद्धि हुई है। जिसके कारण सरकारी और निजी संपत्तियों पर अतिक्रमण का खतरा बढ़ा है। हालांकि, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने इस डेटा को गलत बताते हुए कोर्ट से कार्रवाई की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का विवरण
1. मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 16 अप्रैल 2025 को सुनवाई शुरू की थी। उस समय कोर्ट ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने तीन प्रमुख मुद्दों पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार से कड़े सवाल पूछे थे। कोर्ट ने वक्फ बाय यूजर की स्थिति पर सवाल करते हुए कहा कि इस अवधारणा को समाप्त करने से उन संपत्तियों का दर्जा बदल सकता है, जो दशकों से धार्मिक उपयोग में हैं।
2. इसके अलावा गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा कि वक्फ बोर्ड और परिषद में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने को संविधान के अनुच्छेद 26 (धार्मिक मामलों में स्वायत्तता) का उल्लंघन माना गया है। साथ ही, कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों का डिनोटिफिकेशन पर चिंता जताते हुए कहा कि वक्फ संपत्तियों का दर्जा तब तक नहीं बदला जाए, जब तक मामला लंबित है।
3. इसके बाद 17 अप्रैल को केंद्र सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि 5 मई तक न तो वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई किया जाएगा और न ही वक्फ बोर्ड या परिषद में कोई नई नियुक्ति होगी। जिसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार को अपनी प्रारंभिक प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया था।
4. इसके बाद 5 मई को मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने अपनी सेवानिवृत्ति (13 मई) के कारण मामले को नई पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। जिसके बाद 15 मई को मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की पीठ ने सुनवाई की तारीख 20 मई तय की। साथ ही, वकीलों को अंतरिम राहत के लिए अपनी लिखित दलीलें जमा करने को कहा गया।
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