कर्नाटक में मुसलमानों को 4% आरक्षण, क्या है अन्य राज्यों में आरक्षण की स्थिति?
Muslim Reservation In Indian States: कर्नाटक में मुसलमानों को सरकारी ठेकों में 4प्रतिशत आरक्षण देने का रास्ता साफ हो गया है। राज्य विधानसभा ने इस संबंध में एक विवादास्पद बिल पारित किया है। विपक्षी दलों ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए इसे तुष्टीकरण की राजनीति करार दिया है। भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कांग्रेस पर यह आरोप लगाया है कि वे मुसलमानों को विशेष लाभ देने की कोशिश कर रहे हैं।
मुसलमानों को क्यों मिलता है आरक्षण?
भारतीय संविधान के अनुसार, आरक्षण का लाभ केवल उन्हीं लोगों को मिलता है जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 1992में यह निर्णय लिया था कि किसी भी सामाजिक समूह को तब तक पिछड़ा माना जाएगा, जब तक उसे मुख्यधारा में शामिल होने का अवसर नहीं मिलता। इसके अनुसार धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता है, बल्कि जाति और सामाजिक स्थिति के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था है।
मुसलमानों को आरक्षण की व्यवस्था
मुसलमानों को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के तहत आरक्षण मिलता है। भारत में मुसलमानों की 36जातियां ओबीसी के तहत आरक्षण का लाभ उठा रही हैं। ये जातियां एससी/एसटी या ओबीसी वर्ग में आती हैं, और इन्हें उसी वर्ग का आरक्षण मिलता है।
कर्नाटक और अन्य राज्यों में आरक्षण
कर्नाटक में मुसलमानों के लिए 4प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है, जो सरकारी ठेकों में भी लागू होगी। कर्नाटक में ओबीसी को 32प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है और मुसलमानों की सभी जातियां इस वर्ग में शामिल हैं। तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में भी ओबीसी मुसलमानों को 4प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलता है। बिहार में मुसलमानों की कई जातियां अति पिछड़ी श्रेणी में आती हैं, जिन्हें 18प्रतिशत आरक्षण मिलता है।
आंध्र प्रदेश में आरक्षण पर विवाद
आंध्र प्रदेश में मुसलमानों को आरक्षण देने का मामला विवादों से घिरा रहा है। 2004 में ओबीसी में 5 प्रतिशत आरक्षण देने की कोशिश की गई, लेकिन अदालत ने इसे रद्द कर दिया। इसके बाद 2010 में कुछ मुस्लिम जातियों को 4 प्रतिशत आरक्षण दिया गया, लेकिन यह भी कोर्ट में खारिज हो गया। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
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