कर्नाटक के वो प्रमुख मुद्दे, जिन पर पार्टियां लड़ रही हैं इस बार का चुनाव
karnataka election: कर्नाटक में जैसे-जैसे चुनावी तारीख पास आ रही है वैसे-वैसे पार्टियां अपने घोषणपत्र जारी कर रहे है। आज भाजपा ने कर्नाटक के लिए अपना घोषणपत्र जारी कर दिया है। इसी के साथ अन्य पार्टियां ने अपनी कमर कस ली है। ऐसे में नजर डाले कर्नाटक के प्रमुख मुद्दों पर तो वह है भ्रष्टाचार, आरक्षण, विकास, महंगाई, चुनावी वादे।
भ्रष्टाचार
दरअसल भ्रष्टाचार तो हर राज्य का मुद्दा होता है। बात करें रिश्वत की तो एक मामले में भाजपा विधायक मदल विरूपक्षप्पा और उनके बेटे की गिरफ्तारी ने सत्तारूढ़ भाजपा को बैकफुट पर ला दिया है। कांग्रेस ने विभिन्न घोटालों और ठोकेदारों के निकाय द्वारा 40 प्रतिशत कमीशन शुल्क की और इशारा करते हुए भ्रष्टाचार को अपने चुनाव प्रचार अभियान का प्रमुख विषय बना दिया है।
आरक्षण
कर्नाटक में आरक्षण में एक अहम मुद्दा है क्योंकि कर्नाटक सरकार धर्मिक अल्पसंख्यकों के लिए चार प्रतिचार आरक्षण समाप्त करने और इसे राज्य के दो प्रमुख समुदायों के मौजूदा आरक्षण में जेड़ने के अपने फैसले की घोषण कर चुकी है। कर्नाटक में अल्पसंख्याकों के लिए 4 फीसदी आरक्षण अब सामान रूप से वितरित किया जाएगा और राज्य के वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय के मौजूदा आरक्षण में जाड़ा जाएंगा।
विकास
विकास की बात करें तो कर्नाटक में भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न विकास परियोजनाओं और सामायिक कल्याण की पहलों पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करेगी, जबकि कांग्रेस और अन्य पार्टियां सत्ता में रहने के दौरान अपने ट्रैक रिकॉर्ड का प्रदर्शन करेंगे।
महंगाई
महंगाई एक प्रमुख मुद्दा है। विशेष रूप से रसोई और ईंधन की बढ़ती हुई कीमतें। कोरोना के दौर की बात करें तो सरकार के प्रबंधन, मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान आर्थिक प्रगति और कैसे अभरता भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया, इस पर निर्भर करेगा।
चुनावी वादे
यह कोई नहीं बात नहीं है। हर राज्य में चुनाव से पहले लोगों से वादे किए जाते है जिसमें से कुछ को पूरा किया जाता है तो कुछ पूरे नहीं किए जाते है। बता करें सत्तारूढ़ भाजपा, कांग्रेस ऐर अन्य पार्टियों कि तो चुनावी वादें के फायदे और नुकसान की बारिकी से पड़ताल की जाएगी। कांग्रेस और अनुय पार्टियां करीबी जांच के दायरे मे आएंगा र भाजपा पहले ही आरोप लगा चुकी है कि कांग्रेस अपने चुनावी वादे को पूरा नहीं करती है।
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