Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा क्यों नहीं जा रहे शंकराचार्य, जानें हिंदू धर्म में उनका क्या है महत्व?
Ram Mandir Pran Pratistha: 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारियां जोरों पर हैं.राम मंदिर को लेकर पहले से ही राजनीतिक बयानबाजी का दौर चल रहा था,इस बीच खबर सामने आई है कि कुछ शकंराचार्य इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे। इस वजह से चारों शंकराचार्य इस वक्त चर्चाओं में बने हुए हैं। इन खबरों के बाद केंद्र और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई, कुछ विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि रामलला का राजनीतिकरण किया जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शंकराचार्य कौन हैं और हिंदू धर्म में उनका कितना महत्व है। आइए हम आपको बताते हैं...
शंकराचार्य ने क्य़ा कहा था?
भारत में चार मठों में चार शंकराचार्य हैं। शंकराचार्य हिंदू धर्मग्रंथों की व्याख्या करने वाले सर्वोच्च गुरु हैं। हिंदू धर्म में इनका बहुत महत्व है। इनमें से तीन शंकराचार्यों का कहना है कि हम न तो राम मंदिर कार्यक्रम के खिलाफ हैं और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के, बस प्राण प्रतिष्ठा समारोह हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार नहीं किया जा रहा है।
कौन हैं और हिंदू धर्म में उनका कितना महत्व?
जिस प्रकार संविधान की व्याख्या करने का अंतिम अधिकार सर्वोच्च न्यायालय का है, उसी प्रकार हिंदू धर्म में और हिंदू धर्मग्रंथों की व्याख्या करने का सर्वोच्च गुरु शंकराचार्य हैं। भारत में चार मठों में चार शंकराचार्य हैं।
अगर शंकराचार्य पद के इतिहास की बात करें तो इसकी शुरुआत आदि शंकराचार्य से मानी जाती है। आदि शंकराचार्य एक हिंदू दार्शनिक और धार्मिक नेता थे। आदि शंकराचार्य का जन्म केरल के एक गाँव में हुआ था। उन्हें जगद्गुरु के नाम से भी जाना जाता है।
शंकराचार्य के पद पर बैठने वाले व्यक्ति को त्यागी, दंडी सन्यासी, संस्कृत, चतुर्वेद, वेदांत ब्राहम्ण, ब्रहम्चारी और पुराणों का ज्ञान होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा यह शख्स राजनीति से न जुड़ा हो। इतना ही नहीं चारों धाम भी आदि शंकर ने ही स्थापित किए थे।
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