CHANDRAYAAN-3 से भारत को गगनयान मिशन में भी होगा फायदा, जानें कैसे
CHANDRAYAAN-3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने हाल ही में भारत के चंद्रयान-3 का सफल लॉन्च किया है। जो 40 से 50 दिनों में चांद की सतह पर पर लैंड करेगा। इसके साथ ही भारत अगले साल गगनयान मिशन के जरिए अपने अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना चाहता है। जिसके लिए तैयारियां भी जोर-शोर से चल रही हैं। बता दें कि हमारे अंतरिक्ष यात्रियों को गगननॉट्स भी कहा जाने लगा है। उनकी ट्रेनिंग भी लगभग पूरी हो चुकी है। गगनयान कैप्सूल को अंतरिक्ष में उड़ाने और संभालने का अभ्यास जारी है।
सवाल यह है कि चंद्रयान-3गगनयान को कैसे मदद कर रहा है। चंद्रयान-3को लॉन्च व्हीकल मॉड्यूल यानी एलवीएम-3 (LVM-3) रॉकेट से सफलतापूर्वक छोड़ा गया। गगनयान के लिए इस रॉकेट के संशोधित संस्करण का उपयोग किया जाएगा। क्योंकि गगनयान और उसमें बैठे अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में छोड़ने के लिए एक भारी रॉकेट की जरूरत होती है। भारत के पास इससे ज्यादा विश्वसनीय भारी रॉकेट नहीं है।
एलवीएम-3 की सफलता दर 100 प्रतिशत है। चंद्रयान-3 ले जाने वाले रॉकेट में कई मानव रेटेड सिस्टम लगाए गए थे। ह्यूमन रेटेड सिस्टम का मतलब है कि इंसान को ले जाते वक्त रॉकेट किस तरह का होना चाहिए। कितनी सुरक्षा होनी चाहिए? इंसानों को ले जाते वक्त इसमें कोई गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए। यदि कोई समस्या हो तो रॉकेट मिशन को रद्द कर दें। या फिर गगनयान कैप्सूल को अपने से दूर फेंक दो।
चंद्रयान-3रॉकेट में मानव का दर्जा क्या था?
LVM-3रॉकेट में मानव रेटेड सॉलिड स्ट्रैप-ऑन मोटर्स (S200) लगाए गए थे। इसके अलावा रॉकेट में लगा L110विकास इंजन भी मानव रेटेड है। L110का अर्थ है रॉकेट का निचला भाग जिसके दोनों ओर स्ट्रैप-ऑन इंजन लगे हों। इसरो गगनयान से पहले अपने कई मिशनों में ह्यूमन रेटेड सिस्टम और एलवीएम-3रॉकेट लॉन्च करके इस रॉकेट की क्षमता और प्रदर्शन का परीक्षण जारी रखेगा।
गगनयान के मानव रेटेड रॉकेट का सफल परीक्षण
इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा कि यह पहले भी कहा गया है कि गगनयान के प्रक्षेपण यान की रेटिंग लगभग पूरी हो चुकी है। इसके प्रणोदन मॉड्यूल, ठोस, तरल और क्रायोजेनिक मॉड्यूल का परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया है। रॉकेट के अन्य हिस्सों की जांच लगातार जारी है. यह तब तक चलेगा जब तक यह इंसानों को ले जाने लायक नहीं हो जाता।
Leave a Reply