बाबरी विध्वंस को हुए 33 साल, अयोध्या से लखनऊ तक सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त
33Years of Babri Demolition:1992 के उस काले अध्याय को गुजरते 33 साल पूरे हो चुके हैं, जब बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ था। आज राम मंदिर के उद्घाटन के बाद अयोध्या नई ऊंचाइयों पर पहुंच चुकी है, लेकिन वर्षगांठ पर सुरक्षा के मोर्चे पर कोई ढील नहीं बरती जा रही। उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों को छावनी में तब्दील कर दिया गया है, जहां हजारों जवान तैनात हैं। राज्य सरकार ने शांति बनाए रखने के लिए बहुस्तरीय सुरक्षा प्रबंध किए हैं, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
रामनगरी में सख्त निगरानी
अयोध्या, जहां यह घटना घटी थी, अब सुरक्षा का सबसे मजबूत गढ़ बनी हुई है। राम मंदिर परिसर के आसपास केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी) और स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की भारी तैनाती की गई है। मंदिर के चारों ओर ड्रोन निगरानी, CCTV कैमरों का विस्तार और बैरियर लगाए गए हैं। स्थानीय प्रशासन ने धार्मिक आयोजनों पर नजर रखी है, जबकि संवेदनशील इलाकों में पैदल गश्त बढ़ा दी गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया 'राम मंदिर के प्रबंधन से समन्वय में सभी संभावित जोखिमों का आकलन किया गया है। यात्रियों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 24 घंटे अलर्ट पर हैं।' सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले के बाद बने राम मंदिर ने शहर को वैश्विक पटल पर ला दिया, लेकिन पुरानी यादें अभी भी ताजा हैं।
06 दिसंबर 1992 को ध्वस्त हुआ बाबरी मस्जिद
मालूम हो कि 06 दिसंबर 1992 को विश्व हिंदू परिषद और भाजपा समर्थित कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था, जिससे देशभर में दंगे भड़क उठे। हजारों जानें गईं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर का निर्माण हुआ, लेकिन यह वर्षगांठ हर बार सतर्कता की मांग करती है। इस बार राजनीतिक बयानों पर भी नजर रखी जा रही है। विपक्षी दलों ने सरकार से अपील की है कि शांति बनाए रखी जाए, जबकि सत्ताधारी पक्ष ने कहा कि यूपी अब 'नया भारत' का प्रतीक है, जहां विकास और सद्भाव ही प्राथमिकता है।
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