Gen-Z प्रदर्शनकारियों की मानी ये शर्ते...सुशीला कार्की के रूप में नेपाल को मिली पहली अंतरीम महिला PM, काशी से प्राप्त किया राजनीतिक ज्ञान

Nepal PM Education: नेपाल में युवाओं का विद्रोह एक हफ्ते से भी कम समय में इतिहास रच गया। 8 सितंबर को सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ 'Gen Z आंदोलन' जल्द ही भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता के खिलाफ उफान बन गया, जिसने चार दिनों में ही प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया। दुनिया भर में चर्चित यह आंदोलन काठमांडू के मेयर बालेन शाह के आह्वान से भड़का, जिन्हें युवाओं ने पहली पसंद बनाया। बालेन ने सत्ता ठुकरा दी, लेकिन सुशीला कार्की को समर्थन देकर संकट समाप्त किया। शुक्रवार रात 9:30 बजे राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को शपथ दिलाई, जो नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बनीं। उनकी भ्रष्टाचार-विरोधी छवि ने युवाओं का दिल जीता, और अब वे महीनों तक देश की कमान संभालेंगी।
वाराणसी की मिट्टी से पकीं सुशीला
सुशीला कार्की की राजनीतिक जड़ें भारत के काशी (वाराणसी) से जुड़ी हैं, जहां उन्होंने 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से एमए राजनीति विज्ञान की डिग्री हासिल की। विराटनगर से स्नातक करने के बाद BHU पहुंचीं सुशीला का झुकाव एंटी-मोनार्की आंदोलन की ओर हुआ, जो 1940-80 के दशक में वाराणसी का केंद्र रहा। यहां बीपी कोइराला के नेतृत्व में सारनाथ, रथयात्रा और रविंद्रपुरी से नेपाली क्रांति की रणनीतियां बनीं।
सुशीला शैलजा आचार्य और दुर्गा प्रसाद सुबेदी जैसे नेताओं से जुड़ीं, जिनसे प्रभावित होकर उन्होंने विवाह भी किया। सुबेदी, नेपाली कांग्रेस के यूथ आइकॉन, ने 1973 में प्लेन हाईजैक कर राजशाही को चुनौती दी थी। BHU के पूर्व प्रोफेसर दीपक मलिक बताते हैं कि सुशीला आज भी बनारस को शिद्दत से याद करती हैं और नेपाल की स्थिरता में भारत को 'बड़े भाई' की भूमिका निभाने की इच्छुक हैं। त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री लेने के बाद वे नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं।
Gen Z की ये शर्ते मान सुशीला बनी PM
आंदोलनकारियों की मांगों को सुशीला ने स्वीकार कर लिया। 6-12 महीने में आम चुनाव, संसद भंग, नागरिक-सैन्य सरकार का गठन, पुराने नेताओं की संपत्ति पर न्यायिक आयोग, और प्रदर्शन हिंसा की निष्पक्ष जांच—ये सभी शर्तें मान ली गईं। राष्ट्रपति पौडेल ने शपथ के बाद कहा, 'देश बचाइए, सफल रहिए,' तो सुशीला ने 'धन्यवाद' कहा। हालांकि, संसद के स्पीकर देवराज घिमिरे (ओली की पार्टी) और अध्यक्ष नारायण दहाल (प्रचंड की पार्टी) ने बहिष्कार किया। गुरुवार रात शीतल निवास में हुई बैठक में राजनीतिक गुटों ने समझौता कर अंतरिम सरकार को हरी झंडी दी।
हिंसा से सत्ता तक का सफर
आंदोलन की शुरुआत सोशल मीडिया बैन से हुई, लेकिन भ्रष्टाचार ने इसे हिंसक बना दिया। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, सरकारी दफ्तरों और निजी संपत्तियों पर हमला किया, जिसमें 51 से ज्यादा मौतें हुईं—21 प्रदर्शनकारी, 9 कैदी, 3 पुलिसकर्मी, एक भारतीय नागरिक और एक भारतीय महिला (पांच सितारा होटल आग में)। कर्फ्यू और सेना तैनाती के बावजूद विरोध जारी रहा। 9 सितंबर को ओली का इस्तीफा आया, और Gen Z नेताओं ने सुशीला को चुना। अब अंतरिम सरकार चुनावी प्रक्रिया चलेगी, जो नेपाल को नई दिशा देगी। युवाओं की जीत ने लोकतंत्र की ताकत दिखाई।
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