‘महिलाएं तटों की भी रक्षा कर सकती हैं’, कोस्ट गार्ड में महिलाओं को परमानेंट कमीशन पर बोली सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में कोस्ट गार्ड में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने के मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने केंद्र से कहा, आपका रवैया इतना उदासीन क्यों है? कोस्ट गार्ड में महिलाओं का कमीशन क्यों नहीं चाहते? अगर महिलाएं सीमाओं की रक्षा कर सकती हैं, तो वे तटों की भी रक्षा कर सकती हैं। आप 'नारी शक्ति' की बात करते हैं। अब इसे यहां दिखाएं।
कोर्ट ने कहा, जब तीनों सशस्त्र बलों- सेना, वायुसेना और नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के शीर्ष अदालत के फैसले के बावजूद आप इतने पितृसत्तात्मक क्यों हैं कि आप महिलाओं को तटरक्षक क्षेत्र में नहीं देखना चाहते? तटरक्षक बल के प्रति आपका उदासीन रवैया क्यों है।"
‘महिलाएं तटों की भी रक्षा कर सकती’
शीर्ष अदालत ने कहा, वे दिन गए जब कहा जाता था कि महिलाएं तटरक्षक बल में नहीं हो सकतीं। अगर महिलाएं सीमाओं की रक्षा कर सकती हैं, तो महिलाएं तटों की भी रक्षा कर सकती हैं। इस बेंच में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे। कोर्ट वूमन कोस्ट गार्ड शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी प्रियंका त्यागी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
2020 के बबीता पुनिया फैसलेका किया जिक्र
इस सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने बेंच के सामने कहा कि तटरक्षक बल सेना और नौसेना की तुलना में एक अलग डोमेन में काम करता है। सुप्रीम कोर्ट ने कानून अधिकारी से तीनों रक्षा सेवाओं में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने वाले फैसले का अध्ययन करने को कहा। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने 2020 के बबीता पुनिया फैसले का भी जिक्र किया। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया जाए। तब कोर्ट ने सरकार के ''शारीरिक सीमाओं और सामाजिक मानदंडों'' के तर्क को खारिज कर दिया था।
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