ऑपरेशन सिंदूर' से पहले पाकिस्तान को दी गई थी सूचना? विदेश सचिव ने संसदीय समिति को बताया पूरा सच
Operation Sindoor: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के तनावों और 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर एक महत्वपूर्ण सवाल चर्चा में रहा है कि क्या भारत ने इस सैन्य कार्रवाई से पहले पाकिस्तान को सूचित किया था? इस मुद्दे पर अब विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 19मई को संसदीय स्थायी समिति को विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से पहले पाकिस्तान को कोई सूचना नहीं दी गई थी।
विदेश सचिव की संसदीय समिति को जानकारी
19मई को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थायी समिति को इस मुद्दे पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर की योजना को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था। पाकिस्तान को पहले से कोई सूचना नहीं दी गई थी। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के शुरू होने के बाद 07मई को भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और पाकिस्तान को इसकी जानकारी दी थी।
विक्रम मिस्री ने समिति को आगे बताया कि पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद जवाबी कार्रवाई की। जिसमें जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में गोलीबारी और ड्रोन हमले शामिल थे। हालांकि, भारत ने इन हमलों को नाकाम कर दिया और 10मई 2025को पाकिस्तान के डायरेक्टर-जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) की ओर से आए फोन कॉल के बाद दोनों पक्षों ने 12मई को युद्धविराम पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि भारत की कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ थी, और पाकिस्तान की ओर से शुरू किए गए पहलगाम हमले ने ही इसकी शुरुआत की थी।
ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई की सूचना देने का दावा
दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के बाद से सोशल मीडिया पर तरह-तरह के दावे किए जा रहे थे कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्वीकार किया था कि भारत ने इस कार्रवाई से पहले पाकिस्तान को सूचित किया था। इन दावों को कुछ विपक्षी नेताओं और पाकिस्तानी मीडिया ने बढ़ावा दिया, जिससे यह विवादास्पद मुद्दा बन गया।
हालांकि, प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की फैक्ट-चेक इकाई ने इन दावों को खारिज कर दिया। PIB ने कहा कि विदेश मंत्री जयशंकर ने कभी ऐसा कोई बयान नहीं दिया कि ऑपरेशन सिंदूर से पहले पाकिस्तान को सूचित किया गया था। इसके बजाय, विदेश मंत्रालय ने 17 मई को स्पष्ट किया कि पाकिस्तान को ऑपरेशन शुरू होने के बाद इसके शुरुआती चरण में सूचना दी गई थी, ताकि तनाव को कम किया जा सके और सैन्य टकराव से बचा जा सके।
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