राष्ट्रपति मुर्मू की ऐतिहासिक समुद्री यात्रा, INS वाघशीर पर दिखा नौसेना का शौर्य; जानें इस पनडुब्बी की खासियत
President Droupadi Murmu Sea Voyage On INS Vagsheer: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज भारतीय नौसेना की स्वदेशी कलवरी-श्रेणी की पनडुब्बी INS वाघशीर पर एक ऐतिहासिक समुद्री यात्रा की। कर्नाटक के कारवार नौसेना अड्डे से शुरू हुई इस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ने पनडुब्बी के अंदर समय बिताया और नौसेना के संचालन को करीब से समझा। यह यात्रा राष्ट्रपति मुर्मू की चार दिवसीय बहु-राज्य यात्रा का हिस्सा है, जो गोवा से शुरू हुई थी। राष्ट्रपति मुर्मू की इस यात्रा को भारतीय इतिहास में मील का पत्थर माना जा रहा है, क्योंकि वे दूसरी राष्ट्रपति हैं जिन्होंने पनडुब्बी पर समुद्री यात्रा की है। उनसे पहले पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम थे, जिन्होंने 2006में INS सिंधुरक्षक पर यात्रा की थी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की INS वाघशीर पनडुब्बी पर यात्रा
बता दें, राष्ट्रपति मुर्मू ने INS वाघशीर पर सवार होकर समुद्र में यात्रा की, जहां उन्होंने नौसेना अधिकारियों से पनडुब्बी की क्षमताओं, संचालन और रणनीतिक महत्व के बारे में जानकारी ली। इस यात्रा के दौरान पनडुब्बी ने अपनी गहराई में गोते भी लगाए, जिससे राष्ट्रपति ने पानी के अंदर की जटिलताओं का प्रत्यक्ष अनुभव किया। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान में इसे 'राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक प्रतीकात्मक कदम' बताया गया। इस यात्रा से नौसेना के मनोबल में वृद्धि हुई है।
भारतीय नौसेना के लिए खास है INS वाघशीर
INS वाघशीर भारतीय नौसेना की कलवरी-श्रेणी (स्कॉर्पीन क्लास) की छठी और आखिरी पनडुब्बी है, जिसे प्रोजेक्ट-75के तहत बनाया गया है। जनवरी 2025में भारतीय नौसेना को सौंपी गई यह पनडुब्बी पूरी तरह स्वदेशी है, जिसका निर्माण मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने फ्रांस की नेवल ग्रुप के साथ तकनीकी सहयोग से किया। इसका नाम 'वाघशीर' एक घातक गहरे समुद्र के शिकारी मछली 'सैंड फिश' से लिया गया है, जो इसकी चुपके से हमला करने की क्षमता को दर्शाता है।
- उन्नत तकनीक और स्टेल्थ फीचर्स:यह डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक सबमरीन है, जिसमें ध्वनि को कम करने वाली तकनीक (acoustic silencing), कम विकिरण शोर स्तर और हाइड्रोडीनेमिक रूप से अनुकूलित आकार है। इससे यह दुश्मन की नजरों से बचकर ऑपरेट कर सकती है।
- हथियार और मिशन क्षमता:इसमें 18टॉरपीडो और ट्यूब-लॉन्च्ड एंटी-शिप मिसाइलें हैं, जो दुश्मन जहाजों और पनडुब्बियों पर सटीक हमला कर सकती हैं। यह एंटी-सर्फेस वारफेयर, एंटी-सबमरीन वारफेयर, इंटेलिजेंस गैदरिंग, माइन लेइंग और क्षेत्र निगरानी के लिए डिजाइन की गई है।
- आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक:प्रोजेक्ट-75 की समाप्ति के साथ भारत ने 10 बड़े युद्धपोतों को एक साथ बनाने की क्षमता हासिल की है। यह 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान का हिस्सा है, जो नौसेना की ताकत को और ज्यादा मजबूत करता है।
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