चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, बिहार के SIR मॉडल की तरह पूरे देश में होगा वोटर वेरिफिकेशन

Voter Verification: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) के मॉडल को पूरे देश में लागू करने का ऐलान किया है। आयोग के इस कदम का मकसद मतदाता सूची को अपडेट करना, फर्जी मतदाताओं के नाम हटाना और यह सुनिश्चित करना है कि केवल योग्य भारतीय नागरिक ही मतदान के अधिकार का उपयोग करें। बता दें, 24 जून से बिहार में शुरू हुई इस प्रक्रिया ने खूब चर्चा बटोरी और अब यह अभियान 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले पूरे देश में लागू होगा।
बिहार के SIR मॉडल के तहत पूरे देश में होगा वोटर वेरिफिकेशन
बता दें, बिहार के SIR मॉडल के तर्ज पर चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को 01 जनवरी, 2026 को आधार तिथि मानकर मतदाता सूची के पुनरीक्षण की तैयारी शुरू करने का निर्देश दिया है। बिहार के बाद अगले चरण में उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गोवा, और मणिपुर जैसे राज्यों में यह प्रक्रिया शुरू होगी। जहां 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसी के साथ 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले सभी राज्यों की मतदाता सूची की स्क्रीनिंग पूरी करने का लक्ष्य है।
आयोग का कहना है कि यह अभियान निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है। बिहार में अब तक 91.32% मतदाताओं के फॉर्म प्राप्त हो चुके हैं, और 21.6 लाख मृत मतदाताओं और 31.5 लाख पलायन कर चुके मतदाताओं के नाम हटाने की प्रक्रिया चल रही है। आयोग का दावा है कि यह प्रक्रिया पूरे देश में इसी तरह व्यवस्थित और पारदर्शी ढंग से लागू होगी।
वोटर वेरिफिकेशन का उद्देश्य और प्रक्रिया
चुनाव आयोग के अनुसार, इस अभियान का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची में पारदर्शिता लाना और फर्जी, डुप्लिकेट, मृत, या स्थायी रूप से पलायन कर चुके मतदाताओं के नाम हटाना है। बिहार में शुरू हुए SIR के तहत, बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में 2003 की मतदाता सूची को आधार माना गया है, और जिनका नाम उस सूची में है, उन्हें दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं है। लेकिन 2003 के बाद जुड़े करीब 2.93 करोड़ मतदाताओं को अपनी नागरिकता और पहचान साबित करने के लिए दस्तावेज जमा करने होंगे।
मतदाताओं की पहचान के सत्यापन के लिए आयोग ने 11 दस्तावेजों की सूची जारी की है। जिनमें जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र, सरकारी पहचान पत्र, या पेंशन भुगतान आदेश शामिल हैं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को भी वैकल्पिक दस्तावेजों के रूप में स्वीकार किया गया है। वहीं, जिन मतदाताओं के पास कोई दस्तावेज नहीं है, उन्हें निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ERO) द्वारा नोटिस भेजकर दस्तावेज जमा करने का अतिरिक्त समय दिया जाएगा।
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