AMBEDKAR JAYANTI 2023: एक दलित युवक कैसे बना भारतीय संविधान का जनक, जानें उनकी गौरवशाली गाथा
नई दिल्ली: भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की जयंती 14अप्रैल 2021को मनाया जाता है। इस बार 14अप्रैल 2023 को अंबेडकर की 133वीं जयंती होगी। बाबा साहेब के नाम से दुनियाभर में लोकप्रिय डॉ. भीमराव आम्बेडकर समाज सुधारक, दलित राजनेता, क्रांतिकारी योद्धा, लोकनायक, विद्वान, दार्शनिक, समाजसेवी एवं धैर्यवान व्यक्तित्व होने के साथ ही विश्व स्तर के कानून के ज्ञाता और भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार थे।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में एक दलित परिवार में हुआ था. 6दिसंबर 1956को दिल्ली में उनकी मृत्यु हो गई थी। वे उच्च कोटि के नेता थे, उन्होंने न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की शिक्षा पूरी की। और अम्बेडकर ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र से डॉक्टरेट किया।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकरने अपना समस्त जीवन भारत की कल्याण-कामना, संतुलित समाज रचना के नाम कर दिया था। खासकर भारत के उन दलित सामाजिक व आर्थिक तौर से पिछड़े और अभिशप्त लोगों पर। उन्हें इस अभिशाप से मुक्ति दिलाना ही डॉ. आंबेडकर के जीवन संकल्प था। 1924में, उन्होंने भारत में जाति व्यवस्था के विरोध में, बहिश्रक हितकारिणी सभा की स्थापना की थी। इस संगठन के द्वारा सभी आयु समूहों के लिए मुफ्त विद्यालय और पुस्तकालय चलाए गए।
अंबेडकर भारतीय राजनीति की एक धुरी की तरह थे, तो दुनियाभर के लिये एक अत्यंत महत्वपूर्ण दलित मसीहा एवं संतुलित समाज संरचना के प्रेरक महामानव हैं। अंबेडकर समान नागरिक संहिता के पक्षधर थे. उन्हें भारत में दलित बौद्ध आंदोलन का भी श्रेय दिया गया। भारतीय तिरंगे में “अशोक चक्र” को जगह देने का श्रेय भी डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को जाता है।
1931 में लंदन में आयोजित दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए अंबेडकर को आमंत्रित किया गया था। 1936में उन्होंने स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की थी। 1937में उन्होंने अपनी पुस्तक ‘जाति के विनाश’ प्रकाशित की जो उनके न्यूयॉर्क में लिखे एक शोधपत्र पर आधारित था। 29अगस्त 1947को डॉ. आम्बेडकर को स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना के लिए बनी संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
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