Childrens Day 2025: देश के पहले PM से लेकर चाचा नेहरू तक का अनोखा सफर, जानिए 14 नवंबर को ही क्यों मनाया जाता है बाल दिवस?
Bsl Diwas 2025: हर साल 14नवंबर को भारत राष्ट्रीय बाल दिवस के रूप में मनाता है। यह दिन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती है, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' कहा जाता था। नेहरू बच्चों को देश का भविष्य मानते थे और उनका मानना था कि बच्चों की मुस्कान में ही भारत की आत्मा बसती है।' इस साल बाल दिवस की थीम 'बच्चों का स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा: डिजिटल युग में नई चुनौतियां' रखी गई है, जो ऑनलाइन सेफ्टी, मानसिक स्वास्थ्य और AI-संचालित शिक्षा पर केंद्रित है। तो चलिए बाल दिवस के इतिहास और महत्व के बारे में जानते है।
कैसे शुरू हुआ बाल दिवस?
भारत में बाल दिवस की शुरुआत 1950‑60के दशक में हुई। 1954में नेहरू की जयंती को पहली बार 'बच्चों का दिन' के रूप में मनाया गया। लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने विश्व स्तर पर 20नवंबर को यूनिवर्सल चिल्ड्रेन्स डे मनाने का फैसला किया था। 1964में नेहरू के निधन के बाद, संसद ने नेहरू की याद में अलग तारीख चुनी और आधिकारिक रूप से 14नवंबर को नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मान्यता देने का फैसला लिया गया।
नेहरू का बच्चों से अनोखा रिश्ता
पंडित नेहरू मानते थे कि बच्चे देश का भविष्य हैं। उन्होंने कहा था 'आज के बच्चे कल का भारत बनाएंगे। उनकी देखभाल हमारी सर्वोच्च जिम्मेदारी है।' उन्होंने बाल अधिकार, शिक्षा और स्वास्थ्य पर जोर दिया, जिसकी नींव आज RTE एक्ट 2009, पोषण अभियान और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे कार्यक्रमों में दिखती है। यह दिन बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और उनके समग्र विकास पर समाज‑सामूहिक ध्यान केंद्रित करने का अवसर है। इस दिन स्कूलों व सामाजिक संस्थानों में विशेष कार्यक्रम होते है, जैसे सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, बच्चों द्वारा‑बच्चों के लिए गतिविधियाँ और बच्चों के अधिकारों‑हित में जागरूकता सत्र।
साल 2025में बाल दिवस स्पेशल
बाल दिवस 2025 में बच्चों के अधिकारों, समान अवसरों जैसे - शिक्षा, स्वास्थ्य पर विशेष रुप से जोर दिया जा रहा है। इस साल NCPCR ने 'साइबर सावधान' अभियान शुरू किया, जिसमें बच्चों को ऑनलाइन धमकी, फेक न्यूज और प्राइवेसी से बचाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके अलावा 10,000 सरकारी स्कूलों में AI-आधारित पढ़ाई किट वितरित की गईं, जो हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में काम करती हैं। इस साल बाल दिवस पर बच्चों को सिर्फ उपहार नहीं बल्कि उनके विचार‑सपनों को सुनने‑समझने का संदेश भी सक्रिय रूप से दिया जा रहा है।
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